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________________ मेवाड़-परिचय चित्तौड़गढ़ मेवाड़ (उदयपुर-राज्य) की वर्तमान राजधानी उदयपुर में है किन्तु इससे पूर्व मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़गढ़ थी। "चिचौड़गढ़ बॉम्बे वड़ौदा एण्ड सेंट्रल इण्डिया रेल्वे की अजमेर से खंडवा जानेवाली शाखा पर चित्तौड़गढ़ जंकशन से दो मील पूर्व में एक विलग पहाड़ी पर बना हुआ है । यह किला मौर्य वंश के राजा चित्रांगद ने बनवाया था जिससे इसको चित्रकूट कहते हैं विक्रम संवत् की आठवीं शताब्दी के अन्त में मेवाड़ के गुहिल वंशी राजा पापा ने राजपूताने पर राज्य करने वाले मौर्यवंश के अन्तिम राजा मान से यह किला अपने हस्तगत किया। फिर मालवेके परमार राजा मुंज ने इसे गुहिलवंशियों से छीनकर अपने राज्य में मिलाया। वि०सं० की बारहवीं शताब्दी के अंत में गुजरात के सोलंकी राजा जयसिंह (सिद्धराज) ने परमारों से मालवे को छीना, जिस के साथ ही यह दुर्ग भी सोलंकियों के अधिकार में गया । तदनन्तर जयसिंह के उत्तराधिकारी कुमारपाल के भतीजे अजयपाल को परास्त कर मेवाड़ के राजा सामन्तसिंह ने वि०सं० १२३१ (ई० स० ११७४ ) के आसपास इस किले पर गुहिलवंशियों का आधिपत्य जमाया । उस समय से आज तक यह इतिहास प्रसिद्ध दुर्ग प्रायः -यद्यपि बीच में कुछ वर्षों तक +इन सोलंकी राजाओंका विस्तृत परिचय लेखक की शुजरात के जैनवीर" । नामक पुस्तक में मिलेगा । जो शीघ्र छपेगी।
SR No.010056
Book TitleRajputane ke Jain Veer
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAyodhyaprasad Goyaliya
PublisherHindi Vidyamandir Dehli
Publication Year1933
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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