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________________ ३१४ राजपूताने के जैन वीर । आबू पर्वत परके प्रसिद्ध जैनमन्दिर, "शाबू पर्वत सिरोही राज्यके अग्निकोण में है। यद्यपि यह . पर्वत आडावला (अली) पर्वत के सिलसिले से हट करके स्थित है, तथापि इसकी कई शाखाएं आडावला पर्वतसे । मिली हुई हैं । आबू पर्वत के उपरि भाग की लम्बाई १२ माइल और चौड़ाई २ से ३ माइल तक है। इस पर्वत के सबसे ऊँचे शिखर का नाम गुरु शिखर है । यह शिखर समुद्रतल से ५६५० फीट ऊँचा है। आबू पर्वत को समतल भूमि (अधित्यका) की ऊँचाई ४००० : फीट है। इस पर्वत की उत्पत्ति के विषय में इस तरह लिखा है:पहले इस स्थानपर उतङ्क मुनि का खोदा हुआ एक बड़ा खड्डा : था। इसी के आसपास वशिष्ठ ऋषि का आश्रम था । एक समय .. वशिष्ठ की गाय इस खड्ढे में गिर गई। इससे वशिष्ठ को बहुत खेद, हुआ। तथा वशिष्ठ ने उस खड्डे को भर देने के लिये अर्बुद नाम के सर्प द्वारा हिमालय पर्वत का नन्दिवर्धन नामक शिखर मंगवाकर उस जगह स्थापन कर दिया। वि० सं० ११८७ का एक लेख, पाटनारायण के मन्दिर में लगा है। उसमें भी इस विषय का एक :। लोक है । यथाः
SR No.010056
Book TitleRajputane ke Jain Veer
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAyodhyaprasad Goyaliya
PublisherHindi Vidyamandir Dehli
Publication Year1933
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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