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________________ २९३ मंडन का वीर वंश यहाँ विग्रहराज ही से अभिप्राय है, जैसा कि ऊपर बतलाया है अथवा विमहराज के नाम से किसी शिवालय के धनवाने का उल्लेख है। ४. सहणपाल: आँबड़ का पुत्र सहरणपाल हुआ यह मोजदीन नृपतिके सब प्रधानों में मुख्य था। मोइजुद्दीन नाम के दो बादशाह हिंदुस्तान में हुए हैं। एक रजिया बेगम का भाई माइजुहीन बहराम, जिसने ई० सन १२३५-४० से (वि० सं० १२९६-९७) से ई० स०१२४१-- ४२ (वि० सं० १२९८-९९) तक तीन वर्ष छः महीने राज्य किया था। दूसरा रायासुद्दीन क्लवन का पोता मोइजुद्दीन कैकोबाद था जिसन ई० स० १२८६ (वि० सं०२३४२) से ई० स० १२९० (वि० सं०१३४६) तक राज्य किया था। यद्यपि यह ठीक तरह निश्चय नहीं होता, कि सहणपाल किस मोइजुद्दीन का प्रधान था, परन्तु समय का हिसाव लगाने से यह मोइजुहीन बहराम का मंत्री हो, ऐसा प्रतीत होता है। सहणपाल अभयद का पौत्र था । अभयद सोमेश्वर (वि० सं० १२२६-१२३४, ई० स० ११६९ से ११७७) का समकालीन था, जैसा कि ऊपर बतलाया गया है। यदि सहणपाल को बहराम मोइजुद्दीन का मंत्री न मानकर कैकोवाद का माना जाय, तो पितामह और पौत्र के समय में करीब ११७ वर्प का अंतर पड़ता है जो बहुत है। बहराम का मंत्री मानने में केवल ७० वर्ष का अंतर आता है जो उचित और संभव है । सहयपाल के पुत्र नैणा को जलालुद्दीन फीरोज का समकालीन लिखा है।
SR No.010056
Book TitleRajputane ke Jain Veer
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAyodhyaprasad Goyaliya
PublisherHindi Vidyamandir Dehli
Publication Year1933
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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