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________________ जोधपुर राजवंश के जैन वीर 1 जोधपुर राजवंश के जैन-वीर १९५ ₹7 श्र्वर (राठौड़) राव सीहोजी के पुत्र श्रयस्थानजी ने कन्नोज से संवत् १२३३ में मारवाड़ में आकर परगने मालानी के गाँव के खेड़ में संवत् १२३७ में अपना राज्य स्थापित किया, उस समय ३४० गाँव उनके श्राधीन थे । श्रावस्थानजी के पुत्र घुहड़जी संवत् १२६१ में राज्य के उत्तराधिकारी हुये । धुहड़जी के पुत्र रायपालजी संवत् १२८५ में सिंहासनारूढ़ हुए । रायपालजी के तेरह पुत्र थे, उनमें से ज्येष्ठ पुत्र राव कानपाल जी तो राज्य के अधिपति हुये और चतुर्थ पुत्र मोहराजी थे, उन का प्रथम विवाह जैसलमेर के भाटी जोरावरसिंहजी की पुत्री से हुआ, जिससे कुँवर भीमराजजी पैदा हुये, उनके वंश के भीमावत राठौड़ कहलाते हैं । बाद में मोहराजी ने जैनधर्म के उपदेशक शिवसेन ऋषीश्वर के उपदेश से जैनधर्म का अवलम्बन कर, दूसरा विवाह परगने भीनमाल के गाँव पचपदरिये में घोसवाल जाति के श्रीश्रीमाल
SR No.010056
Book TitleRajputane ke Jain Veer
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAyodhyaprasad Goyaliya
PublisherHindi Vidyamandir Dehli
Publication Year1933
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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