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________________ १८२ राजपूताने के जैनवीर देव का, ३ जैसलमेर के पटवा वंश के सेठ मालासा कृत शान्तिनाथ का यह १३ वीं शताब्दी का है । ऋषभदेव के मन्दिर में ३ लेख हैं । ३०. खेड़: --- नगर से उत्तर ५ मील। यह मल्लाना की राज्यधानी थी । यहाँ रणछोड़जी के मन्दिर में हाते की भीत पर दो जैन मूर्तियाँ लगी जिनमें एक बैठे व दूसरी खड़े आसन है। ३१. तिवरी : C ओसिया से दक्षिण १३ मील । यहाँ बहुत से ध्वंस मन्दिर हैं, उनमें एक बड़ा जैन मन्दिर श्रीमहावीर स्वामी का है। मंन्दिर के सामने मानस्तम्भ है । उसके मध्य में ८ जैन तीर्थंकरों की 'मूर्तियाँ पद्मासन हैं। नीचे चार खड़े आसन मूर्तियाँ हैं । उसके नीचे ४ वैठे आसन हैं । इस स्तम्भ पर लेख है । ३२. फलौदी : यहाँ प्राचीन श्री पार्श्वनाथ का मन्दिर है । यहाँ की मूर्ति एक वृक्ष के नीचे मिली थी । जहाँ एक जैनी की गाय नित्य दूध की धार डाला करती थी । संक्षेप में प्राचीन जैन मन्दिरों का उल्लेख किया गया हैं विशेष 'दिगम्बर जैन डिरेक्टरी', 'श्वेताम्बर जैनतीर्थगाइड' और राजपूताने के प्राचीन जैन-स्मारक' आदि पुस्तकों में मिलेगा । C नवम्बर सन् ३२ "
SR No.010056
Book TitleRajputane ke Jain Veer
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAyodhyaprasad Goyaliya
PublisherHindi Vidyamandir Dehli
Publication Year1933
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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