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१६४, . राजपूताने के जैन-वीर महाराणा को आज्ञा से सोमचन्द का दाहकर्म पीछोले को बड़ीपाल पर किया गया जहां उसकी छत्री अव तक विद्यमान है।" (पृ० ९८९) सतीदास गांधी
"सोमचन्द के पीछे उसका भाई सतीदास प्रधान और शिवदास उसका सहायक बनाया गया । इधर सतीदास और शिवदास ने अपने बड़े भाई के वध का शत्रुओं से बदला लेने के लिये भीडर के सरदार मोहकमसिंह की सहायता से सेना एकत्र कर चिचौड़ की ओर कूच किया । उधर उनका सामना करने के लिये अपनी सेना सहित कुरावड़ के रावत अर्जुनसिंह की अध्यक्षता में चूड़ावत चित्तौड़ से रवाना हुए । अकोला के पास लड़ाई हुई, .. जिसमें सतीदास की जीत हुई और रावत अर्जुनसिंह ने भाग कर अपनी जान बचाई ......साह सतीदास ने अपने भाई सोमचन्द . के कातिल को मारडाला (पृ० १०११)।
१ जुलाई सन् ३३
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