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________________ शास्त्रकार और देवता तो केवलज्ञान न होने के कारण चूक भी सकते है पर स्वामीजी तो भूल न करते । भगवान को 'भगवान' तभी कहेंगे जब वे केवल - ज्ञान प्राप्त कर लेगे । फिर भगवान के 'पाँच कल्याणक', यह कैसे ? परमात्मा के किसी भी कार्य मे हमें जरा भी शका या बराबरी नही करनी चाहिए। वे तो हर क्षण अपने कर्मो को हल्के करने वाले महान् पुरुष ही होते है । उनके भोग भोगने पर भी उनके शेष रहे भोगावली कर्म ही क्षीण होते है । फिर भी यदि अपने कर्म दोष से हमे, उनके जीवन में कोई विपरीतता जान पडे या उनका कोई कार्य अच्छा न लगे तब भी हम अपनी समझ ही की कमी या भूल समझें । भला हमने केवलज्ञान थोडे ही प्राप्त कर लिया है । वडे - २ ज्ञानियों ने भी महापुरुषो के जीवन की विशेष - २ घटनाओ को 'अछेरा - भूत' कह कर ही सतोप कर लिया है पर उसमे शका करके, 'भूल हुई है, ऐसा कभी नहीं कहा है । जिनको भूल निकालने की आदत है वे तो छद्मस्थ भगवान की ही नही किसी भी प्रकार से केवली भगवान की भी भूल निकाल कर ही छोड़ेगे । यह कहकर ही कि समर्थवान होते हुए भी वे इतने वर्षो तक इस ससार में बैठे रहे, मोक्ष नही पधारे, बडी भूल की । इतनी देसना देते रहे, मौन व्रत नही रक्खा भारी चूके । सच्चा-त्याग न अपनाकर, समवसरण जैसी विलासिता स्वीकार करते रहे, बेहद चूके ; आदि । इसी तरह स्वामीजी की भी ऐसी निरर्थक दलीलो से उनके मनतव्य की कभी पुष्टि नही हो सकती । तीन ज्ञान सहित जन्म लेनेवाले, दीक्षा के साथ चौथा ज्ञान भी प्राप्त कर लेने वाले तथा ज दी ही महान् केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष पधारने वाले ऐसे महान् तीर्थंकर भगवान ने अपनी पूर्ण चार ज्ञान सहित छद्मावस्था में भूल की ऐसी अकारण, अनहोनी बात कह कर स्वामीजी ने जो भूल की है उसको लेखनी से व्यक्त करने के लिए हमारे पास कोई शब्द नही है। अच्छे से अच्छा विद्वान् शिष्य भी अपने भोले-भाले गुरु के लिए भी 'भूले', 'चूके' अपने मुख से ऐसा कहना शायद उचित नही समझेगा । क्या स्वामी श्री भीखणजी के लिए, किसी शिष्य का यह कहना कि हमारे आचार्य श्री यहाँ चूक गये उचित हो सकता है ? क्या उसका ऐसा कहना लाभकारी या शोभायमान हो सकता है ? क्या ऐसा कहना हमारे १००
SR No.010055
Book TitlePooja ka Uttam Adarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPanmal Kothari
PublisherSumermal Kothari
Publication Year
Total Pages135
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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