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________________ भूल हो सकती है ? पूर्वजो की कृपा से हमारे मदिरो की आर्थिक नीवे इतनी मजबूत बनी हुई है या बन जाती है जिसके लिए हमें कभी चिन्ता करने की आवश्यकता ही नहीं रहती। ___"नित्य प्रति अपनी-२ शक्ति के अनुसार सव लोगो का कुछ-न-कुछ सहायता के रूप मे देना, कम-से-कम खर्च मे भी अच्छा काम चला लेना, गरीव से गरीब भाई को भी एक जैसा लाभ और सम्मान की प्राप्ति"-ऐसे उत्तम नियम है जो ससार के सामने समाज रचना का एक अति उत्तम आदर्श उपस्थित करते है। मूर्ति-पूजा की महानता मे हमे जरा भी सन्देह नहीं। यह एक ऐसा सरल साधन है जहाँ हम अपने मन को अच्छे-से-अच्छे इच्छित साँचे मे ढाल सकते हैं। अशान्ति के कारणो से कैसे बचा जा सकता है, उन्हें कैसे दूर रक्खा जा सकता है, यह हम अच्छी तरह सीख सकते है। ___ इस लघु पुस्तिका में हमने कुछ विचार अभिव्यक्त किये है । विज्ञ जन और भी अनेक प्रकार से विचार कर सकते है। पूजा, परम पिता के गुणो मे रुचि पैदा करने का एक प्रभावशाली किन्तु सरल साधन है। परम पिता परमात्मा के इन गुणो मे न तो किसी का मतभेद है, न किसी का विद्वेष। इनसे समस्त दुविधाये शान्त पड़ जाती है। इन गुणो की अनुमोदना मात्र से इतना लाभ और आनन्द मिलता है कि रोम-रोम पुलकित हो उठता है। लेखनी से उस आनन्द का उसी प्रकार वर्णन नही किया जा सकता जिस प्रकार हम पदार्थ के स्वाद को व्यक्त नहीं कर सकते। पदार्थ हम देखते है, स्पर्श करते है, सूघते है और खाते है पर उसके असली स्वाद को व्यक्त नही कर सकते। हम कह सकते है-शहतूत जैसा मीठा, चीनी जैसा मीठा, शहद जैसा मीठा, पर उसके असली स्वाद का पता उसको खाने ही से मिलता है। इसी प्रकार पूजा के आनन्द का पता भाव से पूजा करने पर ही मिलेगा। प्रभु-पूजा हमारी सफलता की कूजी वन सकती है यदि इसकी वास्तविक उपयोगिता को समझ कर इसे सही ढग से अपनावे। २००
SR No.010055
Book TitlePooja ka Uttam Adarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPanmal Kothari
PublisherSumermal Kothari
Publication Year
Total Pages135
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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