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________________ जैनशासन देखते हुए यह बात स्वीकार करनेमे हम असमर्थ है कि जैनधर्म तथा बौद्ध धर्मकी शिक्षाके कारण हिंदू भारतमे सानामिक शौर्यका ह्रास हुआ है।" धारवाड, बेलगाव जिलोमे शासन करने वाले महामडलेश्वर नरेगोमें महान योद्धा मेरद, पृथ्वीराम, शातिवर्म, कलासेन, कन्नकर, कार्तवीर्य, लक्ष्मीदेव, मल्लिकार्जुन आदि जैनशासनके प्रति विशेष अनुरक्त थे। दशवीसे तेरहवी सदी तक कोल्हापुर, वेलगावमें अपने 'पराक्रमके द्वारा शातिका राज्य स्थापित करनेवाले शीलहारनरेश जैन थे। महाराज विक्रमादित्यने चालुक्योपर आक्रमण किया था। उनको कलिकाल विक्रमादित्य भी कहते थे। जिनधर्मके प्रति विशेष भक्तिवश उन्होने कोल्हापुरके जिनमदिरके लिये बहुत भूमिदान की थी। सामत पराक्रमी निम्ब महाराजने कोल्हापुरके विख्यात लक्ष्मीमदिरके समीप भगवान् नेमिनाथका कलापूर्ण जिनमदिर बनवाया था, उसके बाह्य भागमें ७२ खड्गासन दि० जनमूर्तिया विद्यमान है। किन्तु आज वह वैष्णव मन्दिर वना लिया गया है। भगवान् नेमिनाथके स्थान पर विष्णु की मूर्ति रख दी गई है। जैन सेनापति बोप्पण को एक शिलालेखमें वडा प्रतापी बताया है। पाचवीसे बारहवी शताब्दी पर्यंत मैसूर, मुबई प्रात एव दक्षिण भारतमें चालुक्यवशीय जैन नरेशोका शासन था।' इनमे सत्याश्रय द्वितीय १. Some Hist. Jain kings and Heroes २. The temple has changed hands. Sheshshayi]l has occupied the place of Neminatha All the basadis (Jain temples) in Kolhapur and near about have received grants at the hands of Nimbadev.-Kundnager Loccit. p 11. 3. Ibid. 8. The Chalukyas were without doubt the great supporters of Jainism.-V. Smith His of India p. 444
SR No.010053
Book TitleJain Shasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1950
Total Pages517
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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