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जनशासन
"ततः सर्वसमृद्धीनां कृतसम्भारसन्निधिः। चकार स्नपनं राजा जिनानां तूर्यनादितम् ॥ अष्टाहोपोषितं कृत्वाभिषेक परमं नृपः। चकार महती पूजां पुष्पैः सहजकृत्रिमः ॥ यथा नन्दीश्वरे द्वीपे शक्रः सुरसमन्वितः । जिनेन्द्रमहिमानन्द कुरुते तद्वदेव सः ॥" ७-६
-पद्मपुराण पर्व २६ । श्रीपाल चरित्रसे विदित होता है, कि महाराज श्रीपालकी रानी मैनासुन्दरीने कार्तिक मासमे अष्टाह्निक महापूजा करके कुष्ठरोगसे व्यथित महाराज श्रीपाल तथा उनके साथियोको अपनी सकाम साधनाके प्रभावसे रोगमुक्त किया था। ___तार्किक अकलकदेवकी कथासे विदित होता है कि अष्टाह्निकाकी महापूजाके पश्चात् जैन रथके निकालनेमे जिनधर्मश्रद्धालु राजमाताको राजाकी ओरसे आपत्ति दिखी, कारण शासकपर बौद्धधर्मका प्रभाव जमा हुआ था। उस समय अकलकदेवने अपने प्रतिभापूर्ण शास्त्रीय प्रतिपादन द्वारा जैनधर्मकी प्रतिष्ठा स्थापित कर राजा तथा प्रजाको प्रभावित किया था। ____ यह अष्टाह्निका पर्व यद्यपि जैन आगम तथा परपराकी दृष्टिसे सबसे
बडा प्रसिद्ध है, किन्तु आज प्रचारमे दशलक्षण पर्वकी अधिक मान्यता है। - दशलक्षण पर्व-भादो सुदी पचमीसे चतुर्दशी तक माना जाता है। अष्टाह्निकाके समान दशलक्षण तथा सोलहकारण पर्व वर्षमे तीन बार माननेका शास्त्रोमे वर्णन है, किन्तु शैथिल्योन्मुखी समाजमे भाद्रपदमें ही पर्व प्रचलित है। इस पर्वको पज्जूसण या पyषण पर्व भी कहते हैं । दस दिवस पर्यन्त उत्तम क्षमा, मार्दव (निरभिमानता), आर्जव (मायाहीनता), 'शौच (निर्लोभवृत्ति), सत्य, सयम, तप, त्याग, अकिंचनत्व तथा ब्रह्मचर्य इन दश धर्मोका स्वरूपकथन माहा