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अहिंसाके आलोकमे
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तुम युद्धको एक दिन देख लो, तो तुम सर्वशक्तिशाली परमात्मासे प्रार्थना करोगे कि भविष्यमे मुझे एक घण्टेके लिए भी युद्ध न देखना पडे।" ___ वर्तमान युद्धोकी प्रणाली और गति-विधिको देखते हुए यह कहना होगा कि उनका वाह्य रूप अच्छा बताया जाता है और उनके अन्तरगमे दुष्टता, अत्याचार, दोनोत्पीडन आदिकी कुत्सित भावनाएं विद्यमान है। इस स्वार्थपूर्ण युद्धसे न्यायका सरक्षक, पौरुपका प्रवर्धक, गुणी जनोका उद्बोधक, दीनोका उद्धारक धर्म-युद्ध विलकुल भिन्न है। वर्तमान युद्ध तो इस बातको प्रमाणित करते है कि जडताके अखण्ड उपासक पश्चिमके वैज्ञानिक जगतने ही यह स्व-परध्वसी अविद्या सिखाई। स्वर्गीय एण्ड्यूज महाशयने लिखा था,-"एक युद्धके अनन्तर दूसरा छिड़ गया और उससे छुटकारा नहीं दीखता। वास्तविक बात तो यह है कि पश्चिमी सभ्यतामे कुछ खरावी अवश्य है जो स्व-विनाशिनी प्रवृत्तियोकी पुनरावृत्तिकी ओर प्रतिरोधके उपायके विना प्रेरित करती है।" ___ प्राथमिक साधकको अपने उत्तरदायित्वका खयाल रखते हुए राष्ट्र आदिके सरक्षण निमित्त मजबूर हो विरोधी हिसाके क्षेत्रमे अवतीर्ण होना पडता है। समाजके कल्याणार्थ राष्ट्रके मार्गमे दुर्जनल्पी काटोको दूर किये विना राष्ट्रका उत्थान और विकास नहीं हो सकता। लेकिन इसका अर्थ यह नही है कि कण्टकके नाम पर रास्तेके मूलरूप
Take my word for it, if you had seen one day of war, you would pray to Almighty God that you might never again see an hour of war"
२ “One war follows another and there seems to be no escape. Surely there must be something wrong in Western civilisation itself, which causes self-destructive tendencies to recur, without any apparent means of prevention"
C F.Andrews article in Modern Review Jan. 40 p 32.