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अहिंसाके आलोकमे
१३३ is the law of our species as violence is the law of the brute "-जिन सन्तोने हिंसाके मध्य अहिंसा सिद्धान्तकी खोज की, वे न्यूटनसे अधिक बुद्धिमान थे तथा विलिंगटनसे बड़े योद्धा थे। जिस प्रकार हिंसा पशुओका धर्म है, उसी प्रकार अहिंसा मनुष्योका धर्म है।" अपनी महत्त्वपूर्ण रचना 'हिन्दुस्तानकी पुरानी सभ्यता' (पृ० ६१३) मे धुरधर विद्वान् अक्टर वेणीप्रसादने लिखा है "सबसे ऊंचा आदर्श, जिसकी कल्पना मानव मस्तिष्क कर सकता है, अहिंसा है। अहिंसाके सिद्धान्तका जितना व्यवहार किया जायगा, उतनी ही मात्रा सुख और शान्तिकी विश्व-मण्डलमे होगी।" उनका यह भी कथन है कि “यदि मनुष्य अपने जीवनका विश्लेषण करे, तो इस परिणामपर पहुंचेगा कि सुख और गान्तिके लिए आन्तरिक सामजस्यकी आवश्यकता है।" यह अन्त करणको स्थिति तव ही उत्पन्न होती है, जब यह जीव सव प्राणियोके प्रति प्रेम और अहिंसाका व्यवहार करता है। जहा अहिंसा समत्वके सूर्यको जगाती है, वहा हिंसा अथवा क्रूरता विषमताकी गहरी अँधियारीको उत्पन्न करती है, जहां यह अन्य जीवोकी हत्याके साथ अपनी उज्ज्वल मनोवृत्तिका भी संहार करता है। ___ ससारके धर्मोका यदि कोई गणितज्ञ महत्तम समापवर्तक निकाले तो उसे अहिंसा धर्म ही सर्वमान्य सिद्धान्त प्राप्त होगा। इस तत्त्व-ज्ञान पर जैन श्रमणोने जितना वैज्ञानिक और तर्क-सगत प्रकाश डाला है, उतना अन्यत्र देखनेमे नही आता। यह कहना सत्यकी मर्यादाके भीतर है कि जैनियोने इतिहासातीत कालसे लेकर अहिंसा तत्त्वज्ञानका शुद्ध रीतिसे सरक्षण किया है। एक समय था, जव वैदिक-युगमे स्वर्गप्राप्तिके लिए लोगोको स्वार्थी विप्रवर्ग पशुओकी वलि करनेका मार्ग बताता था। इससे स्वार्थी व्यक्तियोने मिथ्यात्व वश अपना भविष्य उज्ज्वल मान अगणित पशुओका सहार किया। वैदिक-साहित्यके गास्त्रोमें हिंसा
१. Mahatma Gandhi by Roman Rolland p, 48.