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________________ नामाऽनुक्रमणी 5 . 227 622 शिवमार (गगराजा) 230 श्रीनन्दी शिवमृगेशवर्मा (कदम्ब राजा) 230 श्रीपाल 640, 6.44 शिवश्री (माघ्र) 230 श्रीपालचरित्र 228 शिवस्कन्दवर्मा ( पल्लवराजा ) 226 श्रीपुर 230 श्रीपुर-पार्श्वनाथ-स्तोत्र 637 शिवस्कन्दवर्मा ( कदम्बराजा) 230 श्रीपुरान्वय 603 शिवस्कन्धशातफरिण (मांध्र) 230 श्रीविजय (प्रपराजितसूरि) 487 शिवायन 223, 238, 236 श्रीविजयगुरु 622 शिवायं (शिवकोटि) 485, 465 श्रीपुरुष शीलपाहुड 14 श्रीवदंदेव 663, 664 शुभकीति 644 श्रीविजय शिवमृगेशवर्मा (कदम्वराजा), शुभचन्द्र 471, 463, 466 7 2, 673 शुभचन्द्राचायं 107, 163, 164, श्रुतभक्ति 185, 163 श्रुतमुनि 281 अवरणबेल्गोल 51, 86, 105, श्रुतसागर 166. 288, 286, 663 151, 156, 166, 167, 204, श्रतमागरमूरि 64, 108 225. 236, 281, 316, 638 श्रुतसागरी (टीका) 288 646, 682, 663 श्रुतावतार श्रवणबेलगोल-शिलालेख 472, 556. श्रेणिक (राजा बिम्बमार) 6, 38, बीकठ (भिवकोटि पुत्र) 223 श्लोकवातिक 107, 186, 168, श्रीकृष्णर्मा 673,674 200, 276, 280, 260, 261 श्रीचन्द्र 486.488 306, 312, 322, 474, 638 श्रीचन्द्र-टिप्पण 643, 644, 647, 650, 658 धीचन्द्र मूरि 660, 662, 663, 686, 666 श्रीधर श्लोकवातिकालंकार 64% श्रीधर-श्रुनावतार 598 श्वेताम्बरपट्टावनी 482,563, 574, बीनन्दिगणों (मुनि) 592
SR No.010050
Book TitleJain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Shasan Sangh Calcutta
Publication Year1956
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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