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________________ नामाऽनुक्रमणी विचारश्रेणी (स्थविरावली) 37, 36 206, 253, 256, 260, 2621 267, 273, 274, 276, 261, विजयश्रीकृष्णराय 302, 416, 421, 424, 427, विजयसिंहसूरि 426, 686 विजयमेन 81 विद्यानन्दि 637-640, 642. 658 विजयाचार्य 81, 460 विद्याभूषण विजयानन्दमूरीश्वरजन्मशताब्दि- विनीतदेव 552,553 स्मारक ग्रंथ 547 विपुलगिरि 8, 25, 61. 62. 63, विजयादया(भगवतीमाराधना टीका) 65. 87 487, 488, 622 विबुध श्रीधर 278 विदिशा वैदिश ( दशार्ग देशको विरूपाक्षराय राजधानी) विविधतीर्थकल्प 516, 521. 523 173 विदेह (वा) विशास्त्राचार्य 81 642 विदेह ( देश) সিগালীনি 644 विदेहक्षेत्र विशेषणवती 530, 551, 554, विद्यानगरी 556 विद्यानन्द 207.227. 287, 288 विशेषावश्यकभाष्य 544. 545, 260.65, 300, 306. 211 546 310. 216, 321.::4:28, विषमपदनात्पर्यटीका 461, 465, 870 176, 834. विषम पदतात्पर्यवृत्ति (अष्टमहम्री४७५८८०, 486, 2565. टीका) 46.247 64.642.645. 685, 648. विषमपदव्याख्या (जीतकल्परिण६५२,६५८. 667. 66, 664 टीका) 502 विद्यानन्द-महादय 186.648 विपारहार 423 विद्यानन्दस्तोत्र वियोग्र-ग्रह-शमन-विधि विद्यानन्दस्वामी 107. 321, 641, विष्णु विष्णुगोप (राजा) विद्यानन्दाचार्य 182, 188, 198, विष्णुयशेधर्मा (मालवाधिपति) 586 43 514
SR No.010050
Book TitleJain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Shasan Sangh Calcutta
Publication Year1956
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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