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________________ 705 174 नामाऽनुक्रमणी न्यायविनिश्चयालंकार 646, 650 / पन्नालाल ( साहित्याचार्य) 357 न्यायावतार 246, 314, 504, पम्प-रामायण 514, 515, 517, 518, 522, परमागमसार 523. 524, 525, 526, 527, परमात्मप्रकाश 496, 466 528, 533, 534, 535, 537, परमेश्वरवर्मन 226 538, 536, 540, 542, 543 परिशिष्टपर्व 38,547 552, 558, 556, 563, 5.66, परीक्षामुख 311 584, 585, 667 पल्लव (वंश) 153 पश्यरणमार (प्रवचनसार) पट्टावली 35. 82, 66,103, 105, 275 प नगुम(परमेष्ठि)भक्ति 67 689 पंचवस्तु पदावलीसमुच्चय 5.70, 571, 563 पमिद्धान्तिका 547 पट्टावलीमागेद्धार 571. 562 १चमेलउर पड़वस्तिभडार ( मूडविद्रा) 268 पाइअलच्छीनाममाला 33, 34 पष्षणवरणा 681 पाइप्रमद्दमहष्णवकोश पतञ्जलि (ऋषि) 587,588 313 पाटलिक (ग्राम) 563 पत्र परीक्षा 186, 637, 648 पाटलिपुत्र (पटनानगर) 172, 173, पपरित 481, 574 पपरित-टिप्पण 488 पप्रान्दी (कुन्दकुन्दाचार्य) 86. पाठकजी (के. बी. पाठक ) 316, 103, 150, 156.604, 622, पारगराष्ट्र 563 पाणनीय व्याकरण 320 पद्मप्रभ(मलधारिदेव) 61,246,266, पाण्डुस्वामी 82 568, 601 पप्रानन्दन 643 पादलिसाचार्य 546,574 पपावती पात्रकेसरी 164, 300,302, 307, पप्रावती देवी 321, 322, 637,638, 639, पन्नालाल (वाकलीवाल) 247, 354 640, 641, 642, 644, 645, 224
SR No.010050
Book TitleJain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Shasan Sangh Calcutta
Publication Year1956
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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