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________________ १६ जैनसाहित्य और इतिहासपर विशद प्रकाश शासनकी महिमा सम्बन्धमें उद्धृत किये जा सकते हैं; परन्तु उन्हें भी यहाँ छोड़ा जाता है। वीर-शासनकी विशेषता भगवान् महावीरने संसारमें सुख-शान्ति स्थिर रखने और जनताका विकास सिद्ध करनेके लिये चार महासिद्धान्तोंकी--१ अहिंसावाद, २ साम्यवाद, ३ अनेकान्तवाद ( स्याद्वाद) और ४ कर्मवाद नामक महासत्योंकी-घोषणा की है और इनके द्वारा जनताको निम्न बातोंकी शिक्षा दी है : १ निर्भय-निर्वैर रह कर शान्तिके साथ जीना तथा दूसरोंको जीने देना। २ राग-द्वेष-अहंकार तथा अन्याय पर विजय प्राप्त करना और अनुचित भेद-भावको त्यागना। ३ सर्वतोमुखी विशाल दृष्टि प्राप्त करके अथवा नय-प्रमाणका सहारा लेकर सत्यका निर्णय तथा विरोधका परिहार करना । ___४ 'अपना उत्थान और पतन अपने हाथमें है' ऐसा समझते हुए, स्वावलम्बी बनकर अपना हित और उत्कर्ष साधना तथा दूसरोंके हित-साधनमें मदद करना। साथ ही, सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्रको--तीनोंके समुच्चयको--मोक्षकी प्राप्तिका एक उपाय अथवा मार्ग बतलाया है । ये सब सिद्धान्त इतने गहन, विशाल तथा महान् है और इनकी विस्तृत व्याख्याओं तथा गम्भीर विवेचनाओंसे इतने जैन ग्रन्य भरे हुए हैं कि इनके स्वरूपादि-विषयमें यहाँ कोई चलतीसी बात कहना इनके गौरवको घटाने अथवा इनके प्रति कुछ अन्याय करते-जैसा होगा । और इसलिये इस छोटेसे निबन्ध में इनके स्वरूपादिका न लिखा जाना क्षमा किये जाने के योग्य है । इन पर तो अलग ही विस्तृत निबन्धों के लिखे जातेकी ज़रूरत है । हाँ, स्वामी समन्तभद्रके निम्न वाक्यानुसार इतना जरूर बतलाना होगा कि महावीर भगवान्का शासन नय-प्रमाणके द्वारा वस्तुतत्त्वको बिल्कुल स्पष्ट करने वाला और सम्पूर्ण प्रवादियोंके द्वारा अबाध्य होने के साथ साथ दया (अहिंसा ), दम ( संयम ), त्याग (परिग्रहत्यजन) और समाधि (प्रशस्त ध्यान) इन चारोंकी तत्परताको लिये हुए है, और यही सब उसकी विशेषता है अथवा इसी लिये वह अद्वितीय है।
SR No.010050
Book TitleJain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Shasan Sangh Calcutta
Publication Year1956
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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