________________
ढंढ-मुनि
बाईसवें तीर्थकर भगवान अरिएनेमि के समय, द्वारिका में श्रीकृष्ण वासुदेव महाराज का राज था। ढंढण-कुमार उन्हीं के पुत्रों में से एक थे। अपने पूर्व भव में ये एक भरे-पूरे खेतिहर थे। उनके घर अनेकां नौकर-चाकर थे। एक दिन, उनके पाँच सौ नौकर, अपने तथा बलों की विश्रान्ति कासमय जान,