SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 205
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवान महावीर का श्रादर्श जीवन लेखक-जैन दिवाकर प्रसिद्ध वक्ता पं० मुनि श्री चाधमलजी महाराज इस पुस्तक में भगवान महावीर का आद्योपान्त जीवन चरित्र है। यह पुस्तक सच्ची ऐतिहासिक घटनाओं का भण्डार है। वैराग्य रस का जीता जागता आदर्श है । राष्ट्र नीति और धर्म नीति का अपूर्व संमिश्रण इस पुस्तक में है । एक चार मँगा कर अवश्य पढिये। बड़ी साइज के लगभग ६०० पृष्टों के सुनहरी जिल्दवाले दलदार ग्रन्थ की कीमत केवल २॥ रु० मात्र । विध प्रवचन संग्राहक और अनुवादक जैन दिवाकर प्रसिद्धवक्ता पं० मुनि श्री चौथमलजीम० बत्तीस सूत्रों में से खोज-खोज कर ग्रहस्थ धर्म, मुनि धर्म, आत्मशुद्धि,ब्रह्मचर्य, लेश्या,पट् द्रव्य, धर्म,अधर्म,नर्क, स्वर्ग आदि अठारह विपयों पर गाथाएँ संग्रह की गई हैं। प्रत्येक विषय के लिये एक-एक अध्याय है। प्रत्येक अध्याय में मूल गाथा उसका अन्वयार्थ और भावार्थ दिया गया है। इस पुस्तक के अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद हो चुके हैं। १-संस्कृत छाया सहित सजिल्द ॥) २-पद्यानुवाद (हरिगीत छंदों में)14) ३.-मूल-भावार्थ 1) अंग्रेजी अनुवाद) पता-श्री जैनोदय पुस्तक प्रकाशक समिति, रतलाम.
SR No.010049
Book TitleJain Jagat ke Ujjwal Tare
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPyarchand Maharaj
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1937
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy