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Let every one bind his waist with sacred girdle, since the kushti is the sign of puie fuith (See Zartusht-namah-p. 495)
भावार्थ-जो इस तरह किसी पशु को मारेगा उस को ईश्वर नही स्वीकार करेगा। फ़रिश्ता अल्फन्दामद ने कहा है कि "ऐ पवित्र मनुष्य ! ईश्वर को यह आशा है कि पृथ्वी का मुख रुधिर, मैल तथा मुर्दा मांस से पवित्र रक्खा जावे।" अमरदाद फ़रिश्ता वनस्पतियोंके लिए कहता है कि "इसे वृथा नष्ट करना व वृथा हटाना ठीक नही है । हर एक को अपनी कमर में पवित्र कमरबन्द पहनना चाहिए । यह कुश्ती पवित्र धर्म का चिन्ह है"।
According to thv state of mind......so will thou suffer or enjoy. From good; thou wilt find a good result, and none ever reaped honur from evil action" (P. 517)
भावार्थ-अपने मतकी स्थिति के अनुसार तुम दुःख या सुख भोगोगे । भलाई से अच्छा फल पाओगे। किसी ने बुरे कामसे सम्मान नही पाया है।
"जो कोई जानवरों को मारने की मलामन करता है उसको होरमजद धुरा समझते हैं" (श्रवस्तो गाथा ३२-१२ टेक्ट नं०१२पारसी वेजीटेरियन टेम्परेन्स सोसायटी नं० २४-२८ पारसी बाज़ार स्ट्रीट कोर्ट बम्बई)
"दाना और अनाज मनुष्योंकी खूराक है,घास चारा जानवरोंके लिये खूराक है" (अवस्ता वन्दीदाद ५:२० ऊपर का ट्रैक्ट)