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All upper, Western, North & Central India was, thien sav, 1500 to 800 B C and indeed from unknown times, ruled by Turanians, Conveniently called Dravids, and given to tree, serpent and the like worship............but there also existed through ont Upper India an ancient and highly organised religion, philosophical, ethical and severely ascetical viz Jainism
भावार्थ-सन् ई० से ८०० से १५०० वर्ष पहिले तक तथा वास्तव मे अज्ञात समयों से यह कुल भारत तूरानी या द्राविड़ लोगों द्वारा शाषित था, जो वृक्ष सर्प आदि की पूजा करते थे। किन्तु तवही ऊपरी भारत में एक प्राचीन उत्तम रीति से गठा हुआ धर्म तत्वज्ञान से पूर्ण सदाचार रूप तथा कठिन तपस्या सहित धर्म अर्थात् जैनधर्म मौजूद था।
इस पुस्तक में ग्रन्थकार ने जैनों के ऐसे भाषा का पता अन्य देशों में प्राप्त भावों में पाया: जैसे ग्रीक श्रादिकों में। उसी से इनका अस्तित्व वहुत पहिले से सिद्ध किया है । दुनियाँ के बहुतसे धर्मों पर जैनधर्म का असर पड़ा है, ऐसा बताया है।
एक अजैन विद्वान् लाला कन्नोमल थियोसोफिस्ट पत्र मास दिसम्बर १६०४ और जनवरी १६०५ में लिखते हैं "जैन धर्म एक ऐसा प्राचीन मत है कि जिस की उत्पत्ति तथा इति. नगर का पता लगाना वन्त नीलर्लभगत"