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I became acquinted with Jain religion and Jain literature the more I loved them.
भावार्थ-मैं अपने देशवासियों को दिखलाऊँगा कि कैसे उत्तम तत्व और ऊँचे विचार जैनधर्म और जैनलेखकों में है । जनसाहित्य वौद्धों की अपेक्षा बहुत ही बदिया है। मैं जितना २ अधिक जैनधर्म व जैनसाहित्य का ज्ञान प्राप्त करता जाता हूँ, उतना २ ही में उनको अधिक प्यार करता हूँ।
वैरिस्टर चम्पतराय हरदोईको जर्मनीके डाक्टर जूलियल Dr. Jullins Ph. D. of Germany अपने पत्र ११ सितम्बर में लिखते है
___It is to be desired that the importance of Jainism should be universally recognised in Western scholars.
भावार्थ-इस बात की ज़रूरत है कि जैनधर्मकी उपयोगिता पश्चिमके विद्वानों में सर्वथा मान्य की जावे।
उक्त वैरिष्टर साहब को २२ सितम्बर सन् १९२३ को जर्मनके दूसरे विद्वान् हैनरिच ज़िम्मर (Heavrich Zimmer) साहव लिखते हैं कि
It is quite impressive to realise what peculiar Position Jainism occupies among them ( religions) all..
भावार्थ-इस बातका अनुभव करना बिल्कुल चित्तको असर करता है कि सर्व धर्मों में जैनधर्म कैसा विशेष स्थान धारण कर रहा है।
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