________________ 8-00 अप्राप्य 8-00 . 8-50 अप्राप्य श्री गणेशप्रसाद वर्णी जैन ग्रन्थमालाके महत्त्वपूर्ण प्रकाशन 1. मेरी जीवन-गाथा भाग 1 : द्वितीय संस्करण (वर्णीजी द्वारा स्वयं लिखित ) 2. , माग 2 , 3. वर्णी वाणी : भाग 1 ( द्वितीय संस्करण ) (वर्णीजीके आध्यात्मिक संदेशोंका संकलन ) 4. , भाग 2 , , , , 5. भाग 3 , , , , 6. , भाग 4 (वर्णीजीके अध्यात्मपूर्ण पत्रोंका संकलन) 7. जैन साहित्य का इतिहास ( पूर्वपीठिका ) भाग 1: . पं० कैलाशचन्द्रजी शास्त्री (750 पृष्ठों में लिखित जैन साहित्यका गवेषणापूर्ण अद्वितीय इतिहास-ग्रन्थ : पहली बार प्रकाशित) 8. जैन दर्शन ( तृतीय संस्करण) : डॉ. महेन्द्रकुमारजी जैन ( जैन दर्शनका सांगोपांग प्रामाणिक विवेचन) 9. पंचाध्यायी : मूल-पण्डित राजमल्लजी हिन्दी रूपान्तर-पं० देवकीनन्दनजी सिद्धान्तशास्त्री ( जैन तत्त्वज्ञानकी विवेचिका अद्वितीय मौलिक कृति ) 10. श्रावकधर्मप्रदीप : मूल-आचार्य कुन्थुसागर महाराज हिन्दी-संस्कृत टोका-पं० जगन्मोहनलालजी शास्त्री ( श्रावकाचार-विषयक सरल और विशद रचना) / 11. तत्त्वार्थसूत्र : मूल-आचार्य गृद्धपिच्छ हिन्दी-विवेचन-पं० फूलचन्द्रजी सिद्धान्तशास्त्री ( जैन तत्त्वोंका प्रामाणिक और विशद निरूपण ) 12. द्रव्यसंग्रह-भाषावचनिका : मूल-आचार्य नेमिचन्द्र देशभाषावचनिका-पं० जयचन्दजी छावड़ा सम्पादन-प्राध्यापक दरबारीलाल कोठिया ( जैन तत्त्वज्ञानकी प्रतिपादिका मौलिक सरल रचना) 10-00 अप्राप्य अप्राप्य . 5-00 4-00 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org