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________________ है- ऋद्धि-गारव, शब्द-गारव, सात गारव या रस-गारव । गिरिनार - गुजरात प्रान्त कं जूनागढ में स्थित एक पर्वत जहा तीर्थकर नेमिनाथ ने दीक्षा ग्रहण करके क्रमश केवलज्ञान तथा मोक्ष प्राप्त किया। इसका दूसरा नाम उर्जयन्तगिरि भी है। गुण-जो एक द्रव्य को दूसरे द्रव्य से प्रथक् करता है उसे गुण कहते है | गुण सदा द्रव्य के आश्रित रहते हे अर्थात् द्रव्य की प्रत्येक अवस्था मे उसके साथ रहते है। प्रत्येक द्रव्य मे अनेक गुण होते हे । कुछ साधारण या सामान्य गुण होते हे और कुछ असाधारण या विशेष गुण । अस्तित्व, वस्तुत्व, द्रव्यत्व, प्रमेयत्व, अगुरुलघुत्व और प्रदेशत्वये सभी द्रव्यो मे पाए जाने वाले सामान्य गुण है (चेतना, ज्ञान, दर्शन आदि जीव के विशेष गुण है तथा रूप, रस, गंध, स्पर्श आदि पुद्गल के विशेष गुण हे । गतिहेतुत्व, स्थितिहेतुत्व, वर्तनाहेतुत्व ओर अवगाहनत्व - ये क्रमश धर्म, अधर्म, काल और आकाश के विशेष गुण हैं |/ गुणप्रत्यय - सम्यग्दर्शन से युक्त अणुव्रत और महाव्रत रूप गुण जिस अवधिज्ञान की उत्पत्ति मे प्रमुख है वह गुण-प्रत्यय-अवधिज्ञान कहलाता है । मनुष्य ओर तिर्यंचो के गुण- प्रत्यय - अवधिज्ञान ही सभव है । गुणव्रत- जो गुणो को बढाने वाले व्रत है वे गुणव्रत कहलाते है या जो अणुव्रतो का उपकार करते है उन्हे गुणव्रत कहते हैं । दिग्व्रत, देशव्रत और अनर्थदण्डव्रत - ये तीन गुणव्रत है । गुणश्रेणी - निर्जरा - जब कर्मों की निर्जरा प्रतिसमय क्रमश असख्यातगुणी- असख्यात - गुणी हो तो इसे गुणश्रेणी-निर्जरा कहते है । 88 / जैनदर्शन पारिभाषिक कोश
SR No.010043
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamasagar
PublisherKshamasagar
Publication Year
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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