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पर्याय |
विभ्रम- 1 वस्तु को विपरीत रूप मे ग्रहण करना विभ्रम है । जेसे- सीप को चादी और चादीको सीप कहना । 2 अनेक धर्मात्मक वस्तु को 'यह नित्य ही हे' या 'अनित्य ही है' - ऐसा सर्वथा एकधर्म रूप जानना विभ्रम है।
विमलनाथ - तेरहवे तीर्थंकर । काम्पिल्य नगर के राजा कृतवर्मा की रानी जयश्यामा के यहा इनका जन्म हुआ। इनकी आयु साठ लाख वर्ष थी। शरीर साठ धनुष ऊचा था और स्वर्ण के समान कान्तिमान था । हेमन्त ऋतु मे मेघ की शोभा को तत्क्षण विलीन होते देखकर विरक्त हो गए । जिनदीक्षा ले ली और तीन वर्ष की कठिन तपस्या के फलस्वरूप केवलज्ञान प्राप्त किया। इनके सघ मे पचपन गणधर, अडसठ हजार मुनि, एक लाख तीन हजार आर्यिकाए, दो लाख श्रावक व चार लाख श्राविकाए थी । इन्होने सम्मेदशिखर से मोक्ष प्राप्त किया ।
विमोह - देखिए अनध्यवसाय ।
विरताविरत - देखिए सयतासयत या देशसयत ।
विराग - पचेन्द्रिय के विषयो से विरक्त होने का नाम विराग है। विरोधी - हिंसा - शत्रु से अपना बचाव करने के लिए जो हिसा होती है उसे विरोधी - हिसा कहते है ।
विवक्षा- वक्ता की इच्छा को विवक्षा कहते है । प्रश्नकर्ता के प्रश्न से ही प्रतिपादन करने वाले की विवक्षा होती है।
विवाह - कन्या के वरण को विवाह कहते है। जैनागम मे केवल सन्तान जैनदर्शन पारिभाषिक कोश / 221