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वाल-तप कहलाता है ।
वाल - पण्डित - मरण - सम्यग्दृष्टि दशव्रती श्रावक का मरण बालपण्डित - मरण कहलाता है ।
बाल-बाल-मरण-अज्ञानी मिथ्यादृष्टि जीव के मरण को वाल-बाल-मरण कहते है ।
बाल-मरण - अविरत - सम्यग्दृष्टि जीव का मरण वाल-मरण हे |
बाहुबली - ये भगवान ऋषभदेव के पुत्र और भरत चक्रवर्ती के छोटे भाई थे। इनकी मा का नाम सुनदा था। ऋषभदेव के वैराग्य के उपरात इन्हे पोदनपुर का युवराज पद मिला। अपने ही भाई भरत - चक्रवर्ती से युद्ध में जीतकर ससार से विरक्त हो गए । जिनदीक्षा लेकर एक वर्ष तक तपस्या में लीन रहकर केवलज्ञान प्राप्त किया ओर भगवान ऋषभदेव से पहले ही मोक्ष चले गए। ध्यानावस्था मे इनके शरीर पर लताए लिपट गयीं ओर सर्पों ने आसपास बाबी वना ली फिर भी ये ध्यान मग्न रहे। इस बात को दर्शाने के लिए आज भी इनकी प्रतिमा पर लताए लिपटी हुई दिखाई जाती है। दक्षिण भारत मे स्थित गोम्मटेश्वर बाहुबली भगवान की अत्यत विशाल और सुदर मूर्ति विश्व को आश्चर्य चकित करने वाली है।
बाह्य-तप-जो तप बाह्य द्रव्य के आलम्बन से होता है और दूसरो के देखने मे आता है उसे बाह्य तप कहते है । अनशन, अवमोदर्य, वृत्ति-परिसख्यान, रस-परित्याग, विविक्त शय्यासन और काय- क्लेश- ये छह प्रकार का वाह्य-तप है ।
178 / जेनदर्शन पारिभाषिक कोश