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अटाई-द्वीप-जम्बूद्वीप, शतकी खड द्वीप और आधा पुष्करवर द्वीप-य मिलकर अटाई द्वीप है। मनुष्य का निवास ओर आवागमन इसी अटाई द्वीप म हाता है इसलिए इसे मनुष्य-लोक भी कहते हैं। इसका विस्तार पतालीस लाख योजन है। अणिमा ऋद्धि-शरीर को अणु के वरावर सूक्ष्म वना लेना अणिमा ऋद्धि है। यह देवी को जन्म से ही प्राप्त होती है। तपोवल से मुनियों को भी प्राप्त होती है। अणुव्रत-हिसा, झूठ, चोरी, कुशील और परिग्रह, इन पाच पापो का स्थूल रूप से त्याग करना अणुव्रत कहलाता है। अणुव्रत पाच है-अहिसाणुव्रत, सत्याणुव्रत, अचोर्याणुव्रत, ब्रह्मचर्याणुव्रत और परिग्रह-परिमाणव्रत। अण्डज-जो नख की त्वचा के समान कठोर हे गोल है ओर जिसका आवरण शुक्र ओर शोणित से बना है उसे अण्ड या अण्डा कहते है। अण्डे से उत्पन्न होने वाले जीव अण्डज कहलाते है। अतदाकार-स्थापना-वास्तविक आकार से रहित किसी भी वस्तु में 'यह वही हे -ऐसी स्थापना कर लेना अतदाकार-स्थापना हे। जेसे अनगढ पत्थर आदि म देवी-देवताओ की कल्पना कर लेना। अतिचार-ग्रहण किए गए व्रतो मे शिथिलता आना या दोष लगना अतिचार या अतिक्रम कहलाता है। अतिथि-सयम का पालन करते हुए आहार के लिए आया हुआ साधु अतिथि कहलाता हे अथवा जिसके आने की तिथि निश्चित न हो 6 / जेनदर्शन पारिभाषिक कोश