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कहलाती है। नाग्न्य-परीपह-जय-हिसा आदि दोपो से रहित निष्परिग्रर म्प जो वालकवत् सहज निर्विकार नग्नता है वह मोक्ष का अनिवार्य मापन है। इस नग्न दिगम्बर रूप को धारण करने वाले जो साधु कामविला को जीत लेते है और असण्ड ब्रह्मचर्य का पालन करते है यह उनका नाग्न्य-परीपह-जय है। नाम्ययोनिर्गम-आहार के लिए जाते हुए मायु को यदि नाभि से नीला मम्तक करके निकलना पड़े तो यह नाम्गयोनिर्गम नाम का पारा: कहलाता है।