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जम्बूद्वीप- मनुष्य लोक के ठीक मध्य मे एक लाख योजन विस्तार वाला गोलाकार जम्बूद्वीप नाम का द्वीप है। यह जम्बूद्वीप सात क्षेत्रां मे विभक्त है। भरत, हेमवत, हरि, विदेह, रम्यक, हेरण्यवत ओर ऐरावत ये सात क्षेत्र है । जम्बूद्वीप के मध्य मे एक लाख योजन ऊचा सुमेरु पर्वत हे और जम्बूद्वीप को चारो ओर से घेरे हुए लवण समुद्र नाम का समुद्र है ।
जम्बूद्वीप-प्रज्ञप्ति - जम्बूद्वीप मे मनुष्य, तिर्यच आदि का तथा पर्वत, नदी, वेदिका, अकृत्रिम चैत्यालय आदि का वर्णन जिसमे किया गया हो उसे जम्बूद्वीप-प्रज्ञप्ति कहते है ।
जय जिनेन्द्र - जैनी मे परस्पर विनय ओर प्रेमभाव प्रकट करने के लिए जय जिनेन्द्र शब्द वोला जाता है ।
जया - वाचना - जिनेन्द्र भगवान द्वारा कहे गए सिद्धान्त के अर्थ की व्याख्या करना जया - वाचना कहलाती है ।
जरायुज- रक्त ओर मास स वनं जाल के समान आवरण को जरायु कहत है। गर्भ-जन्म लेने वाले जो जीव जरायु सहित उत्पन्न होते जरायुज कहलाते है ।
जलकाय - जलकायिक जीव से रहित जल को जलकाय कहत है। जलकायिक- जीव- जल ही जिसका शरीर हे एस एकन्द्रिय जीव का जलकायिक- जीव कहते हे।
जलगता - चूलिका - जल म गमन करने और जलस्तम्भन आदि म कारणभूत मत्र, तत्र और तपश्चरण म्प अतिशय का जिसमें वर्णन
100 जैनदशन पारिभाषिक कोश
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