SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 31
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २७ मात तात स्वास्थ के साथी । हैं मतलब के सगे संगाती तेरा हितू न कोय || तेरे० ॥ १ ॥ ठी नैना उल्फत वांधी || किसके सौना किसके चांदी क्यों मूरख पत खोय || तेरे ० ||२|| नदी नाव संयोग मिलाया ।। सो सब जन मिल कुटंब काया सदा रहे ना कोय || तेरे ० || ३ || इक दिन पवन चलेगी आंधी | किसकी बीबी किसकी बांदी उलट सुलट सब होय || तेरे ० ||४|| खोटा वरमज किया पौदारी ॥ टांडा जोड़ धरा सर भारी किस विष हलका होय || तेरे ० ||५|| आश्रव बंध चुका इकवारा || हलका हो सर बोझा भारा तान बदरिया सोय || तेरे ० ||६|| न्यापत मंज़िल दूर पड़ी है ।। विकट बड़ी है अग्नि कड़ी है कांटे शूल न बोय ॥ तेरे० ||७|| £ ३० (राग) देश (नाम) तीन (चाल) नित्य फेरो माला इरकी रे कुछ कीजे नेकी जगमें रे || कुछ कीजे नेकी जगमें रे (टेक) अम जल औषध ज्ञान अभय पद, दीजे दान विचार रे । बैरी मित्र भेद को तज कर, कर सबका उपकार रे ॥१॥
SR No.010042
Book TitleJain Bhajan Ratnavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyamatsinh Jaini
PublisherNyamatsinh Jaini
Publication Year1918
Total Pages65
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy