________________
६०]
दूसरा भाग ।
जब भार्य श्रावक नामरूपको, उसके समुदयको, उसके निरोधको व निरोधके उपायको जानता है तब वह सम्यग्दृष्टि होता है - (१) वेदना - ( विषय और इन्द्रियके सयोगसे उत्पन्न मन पर प्रथम प्रभाव ), ( २ ) संज्ञा - ( वेदना के अनन्तरकी मनकी अवस्था ), (३) चेतना - ( सज्ञाके अनन्तरकी मनकी अवस्था ), (४) स्पर्श - मनसिकार ( मनपर सस्कार ) यह नाम है । चार महाभृत ( पृथ्वी, जल, आग, वायु ) और चार महाभूतों को लेकर (वन) रूप कहा जात है । विज्ञान समुदय नाम रूप समुदय है, विज्ञान निरोध नामरूप निरोध है, उसका उपाय यही आष्टागिक मार्ग है
जब आर्य श्रावक विज्ञानको, विज्ञानके समुदयको, विज्ञान निरोधको व उसके उपायको जानता है तब वह सम्यग्दृष्टि होता है । छ विज्ञानके समुदाय ( काय ) है - (१) चक्षु विज्ञान, (२) श्रोत्र विज्ञान, (३) प्राण विज्ञान, (४) जिह्वा विज्ञान, (५) काय विज्ञान, (६) मनो विज्ञान । सस्कार समुदय विज्ञान समुदय है । सरकार निरोध विज्ञान निरोध है । उसका उपाय यह भष्टागिक मार्ग है ।
1
जब आर्य श्रावक सस्कारोको, सस्कारोके समुदयको, उनके निरोधको, उसके उपायको जानता है तब वह सम्यग्दृष्टि होता है । संस्कार ( क्रिया, गति) तीन हैं- (१) काय सरकार, (२) वचन सरकार, (३) चित्त सरकार । अविद्या समुदय सरकार समुदय है, अविद्या निरोध सरकार निरोध है । उसका उपाय यही आष्टागिक मार्ग है ।