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जैन-बौद्ध तत्वज्ञान।
दूसरा भाग।
सम्पादक - श्रीमान् ब्रह्मचारी मीतलप्रसादजी, [अनक जैन शास्त्रोके टाकाकार सम्पादन कर्ता तथा
अध्यात्म प्रथाक रचयिता ]
प्रकाशक - मूलचन्द किसनदास कापड़िया,
मालिक, दिगम्घा जनपुस्तकालय-सूरत ।
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हिसारनिवासा श्रामान् लाला लाचारप्रसारमा जन ण्डनाटका प्रय माताजा श्रीमता लाशीजाका जारसे
'अनामित्र के ३८ वकिग्राराको मत।
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प्रथम वृत्ति]
वीर स० २४६४
प्रति १२००+२००
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