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सिंहावलोकन
२१५ मुनि जिनविजय, बाबू माणिकचन्द, बाबू कन्हैयालाल, प० दरयावसिंह सोधिया, खूबचन्द सोधिया, निहालकरण सेठी, पं० खूबचन्द शास्त्री, प० मनोहरलाल शास्त्री, ५० कैलाशचन्द्र शास्त्री, प० फूलचन्द्र शास्त्री, १० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य, मुनि शान्तिविजय, मुनि कल्याणविजय, लाला न्यामतसिह, स्व० भगवत्स्वरूप भगवत, कवि गुणभद्र आगास, कवि कल्याणकुमार 'शशि', कृष्णचन्द्राचार्य, मुनि कन्तिसागर, अगरचन्द्र नाहटा, वीरेन्द्रकुमार एम०ए०, ५० लालाराम शास्त्री, प० मक्खन लाल शास्त्री, कविवर चैनसुखदास न्यायतीर्थ, पं० अजितकुमार शास्त्री, पं० हीरालाल सिद्धान्त शास्त्री, प्रो० हीरालाल, एम० ए०, पी०एच०डी०, ५० के० भुजवली गास्त्री, प्रो० राजकुमार साहित्याचार्य, पं० सुखलाल सघवी, पं० अयोध्याप्रसाद गोयलीय, वा. लक्ष्मीचन्दजी, प० चन्दाबाई, ५० बालचन्द्र एम० ए०, प्रो० गो० खुगालचन्द्र जैन एम०ए०, पं० दरखारीलाल न्यायाचार्य, प्रो० देवेन्द्रकुमार, कवि पन्नालाल साहित्याचार्य, प्रो० दलसुख मालवणिया, प० बालचन्द्र शास्त्री, वा० छोटेलाल एम० आर० ए० एस, पं० परमानन्द शास्त्री, श्री महेन्द्र राजा एम० ए०, पृथ्वीराज एम० ए०, प. बलभद्र न्यायतीर्थ, डा० नथमल टाटिया, श्री जैनेन्द्रकुमार जैन, कवि तन्मय बुखारिया, कवि हरिप्रसाद 'हरि, भंवरलाल नाहटा, कवि 'सुधेश आदि साहित्यकार उल्लेख योग्य हैं। इस प्रकार हिन्दी जैन साहित्य निरन्तर समृद्धिशाली होता जा रहा है।