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दश-वंकालिक-सूत्र |
अथ पंचम अध्ययन प्रथम उद्देश |
भक्षण समये हय यदि खाद्यचच । कण्टक-कङ्कर- अस्थि-तृण-काष्ठमय ॥ अखाद्य अपर वस्तु खाद्य थाके यदि । किरूपे उहार त्याग करिवेन सुधी ॥८४ हस्त द्वारा त्याज्य द्रव्य ऊर्ध्वे उठाइया । निक्षेप करेना साधु नियम भुलिया ॥ थुथु फेलि त्याज्य वस्तु ना करे वर्ज्जन । हस्त-योगे कोन स्थाने राखे साधुजन ॥८५ श्रावक - आये साधु जीवशून्य स्थाने । त्यक्तद्रव्य माटि द्वारा ढाकिया यतने ॥ ईर्ष्या पथिकेर सूत्रे ज्ञानी साधुजन । करेण तथाय वसि सुप्रतिक्रमण ॥८६ आहार्य्य पात्र रेसह वासम्थाने आति । यदि साधु खाइवारे हन अभिलाषी ।। आहारेर स्थान यत्न परीक्षा करिवे । मत्यएणवंदामीति गुरूके वलिवे ॥ सविनय प्रदेशिया गुरुर सदन । ईर्ष्यापथिकेर सूत्र करिवे पठन ॥ पाठ करि पूर्ण मन्त्र साधु अकपट । करिवेक काय्र्योत्सर्ग गुरुर निकट ||८७१८८ कायोत्सर्ग भिक्षुकेर वटिव एखन । याहाते भिक्षुर दोष हइवे खण्डन ||