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दश-वैकालिक सूत्र |
अथ पंचम अध्ययन प्रथम उद्देश ।
सेइ भक्ष्य द्रव्य हते आनि कोनजन । किछु मात्र देय यदि साधुरे कखन ॥ सेइ भिक्षा ना करिवे साधुरा ग्रहण | खाद्य-शेप दिले शुधु लवे साधुजन ॥३६ दोड़ाइया यदि कोन पूर्णगर्भा नारी । भिक्षादान - काले वसे नियम विस्मरि ।। अथवा आसीना पू दाँड़ाइया परे । आतिथ्य आश्रम धर्म्म पालिवार तरे ॥ पानीय मिष्टान्न द्रव्य याहा तार आछे । समुत्सुक हये दाने, याय साधु काछे । अयोग्य तादृश भिक्षा कभु ना लइवे । अभिप्रेत नहे भिक्षा, साधक बलिवे ||४०|४१ बालक बालिका यदि स्तन्यपान रता । परम सुखेते थाके कोड़े विराजिता ॥ माता किम्बा अन्य नारी स्तन्य दुग्ध दाने । सन्ताने पालिछे स्नेहे वसि फुल्ल मने ॥ नेहारि सहसा एक भिक्षुक सुजन । छाड़िया अपत्य यदि करेन गमन ॥ भिक्षा दिते साधु जने पानीय भोजन । स्तन्यहारा शिशु किन्तु आरभे क्रन्दन ॥ निरखि शिशुर दुःख कभु साधु जन । नारि नारी हते से भिक्षा ग्रहण ||
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