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आमाके सर्वविषये सर्वान्तःकरणे साहाय्य करेन । सर्दारसहर वास्तव्य श्रीमद गाधिया ताहार निज वाड़ीते आत्मीयभावे आमाके राखिया एवं आमार अभाव अनुयोग यथासाध्य दूर करिया निर्विघ्ने पद्यानुवाद करिवार सुयोग प्रदान करेन । एइ ग्रन्थेर ऐतिह्य उद्धत करिवार समय स्वधर्म्मपरायण सभापति महाशयेर योग्यपुत्र श्रीगोपीचाँद चोपड़ा बि, एल, महाशय सर्वान्त करणे आमार साहाय्य करेन । पण्डित प्रवर स्वनामधन्य चिकित्सक आशुकवि श्रीरघुनन्दन शास्त्री चुरूवास्तव्य श्रीघनश्याम शास्त्री एवं लाड्नु निवासी श्रीपान्नालाल भंशाली आमार यथेष्ट साहाय्य करेन । याहा देर साहाय्ये एइ ग्रन्थखानिर पद्यानुवादे कृतकार्य हइयाकि, ताहादिगके आमि आमार आन्तरिक धन्यवाद प्रदान करितेछि । उहादुर साहाय्य व्यतीत आमार एइ दुरूह कार्य सम्भवपर हइत ना । उहादेर सस्नेह दृष्टिपाते आमार विदेशवासओ सुखप्रद हइया छिल ।
हिंसा निवृत्तिर उपायस्वरूप एइ प्रन्थखानि पड़िया यदि काहार प्राणे अहिंसा साधने ओ संयमे विन्दुमात्रओ प्रेरणा जन्मे ताहा ess आमार परिश्रम सार्थक ज्ञान करिव ।
विनीतअन्थकार ।