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सर्वकालिक सूत्र नवम अध्ययन
द्वितीय उद्देश महा पराक्रमी साधु धरार भूषण । दुस्तर संसार अब्धि करि उत्तरण ।। नाशिया सकल कर्म पूतकरे धरा । परम कैवल्य लाभ करेन ताहारा ॥२३ तीर्थकर महापूज्य साधक याहारा। दियाछन उपदेश हितार्थे ताहारा ।। स्मरि सेइ उपदेश त्यजि .स्वकल्पना।
वलितेछि पूर्वरूप करिओ धारणा ॥२४ इति नवम विनय समाधिअध्ययनेर द्वितीयोद्देशावणिः
समाप्त .