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दृष्टान्त से तथा थारा नाभि के दृष्टान्त से दक्षिण दिशा के चमरेन्द्रजी सम्पूर्ण जम्बूद्वीप को भर देते हैं । तिरछा असंख्याता द्वीप समुद्र भरने की शक्ति है ( विषय आसरी), किन्तु कभी भरे नहीं, भरते नहीं और भरेंगे नहीं ।
उत्तर दिशा के बलीन्द्रजी जम्बूद्वीप झारा (कुछ अधिक ) जितना क्षेत्र भर देते हैं। तिरछा असंख्याता द्वीप समुद्र भरने की शक्ति है ( विषय श्रासरी), किन्तु कभी भरे नहीं, भरते नहीं और भरेंगे नहीं ।
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जिस तरह असुरकुमार के इन्द्र का कहा उसी तरह उनके सामानिक और तायत्तीसग का भी कह देना चाहिये | लोकपाल और अग्रमहिपी की तिरछा संख्याता द्वीप समुद्र भरने की शक्ति है ( विषय आसरी ), किन्तु कभी भी भरे नहीं, भरते नहीं, भरेंगे नहीं ।
नवनिकाय के देवता, वाणव्यन्तर और ज्योतिषी देवता एक जम्बुद्वीप भर देते हैं । तिरछा संख्याता द्वीप समुद्र भरने की शक्ति है ( विषय आसरी ), किन्तु कभी भरे नहीं, भरते नहीं, भरेंगे नहीं ।
पहले देवलोक के पांचों ही बोल ( इन्द्र, सामानिक, तायतीसग, लोकपाल, अग्रमहिपी ) दो जम्बूद्वीप जितना क्षेत्र भर
मूल रूप से प्रतिबद्ध रहते हैं । ऐसे वैक्रिय रूप करके जम्बूद्वीप को ठसा - ठस भर देते हैं ।