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________________ १११ उत्पन्न होने वाले स्थल से उत्पन्न होने वाले महावृक्षके, महागुल्म के इन चार जाति के फूलों की प्रत्येक की चार चार लाख कुल कोडी है । . ५ - अहो भगवान् ! बल्ली, लता, हरित काय के कितने भेद हैं ? हे गौतम ! ४ बल्ली के ४००, ८ लता के ८०० और ३ हरितका के ३०० भेद हैं । ६ - अहो भगवान् ! स्वस्तिक आदि ११ विमानों का कितना विस्तार है ? हे गौतम ! कोई देवता ३ आकाश आ न्तरा प्रमाण (२८३५८०६ योजन ) का एक पाउंडा ( कदम ) भरता हुआ जावे, ऐसी शीघ्रगति से एक दिन दो दिन यावत् छह मास तक जावे तो भी स्वस्तिक आदि ११ विमानों में से किसी का पार पावे और किसी का पार नहीं पावे । स्वस्तिक आदि विमानों का इतना विस्तार है । .. - ७ – अहो भगवान् ! अर्चि आदि ११ विमानों का कितना विस्तार है ? हे गौतम ! कोई देवता ५ श्राकाश श्रान्तरा प्रमाण ( ४७२६३३३ योजन ) का एक कदम भरता जावे, ऐसी शीघ्रगति से एक दिन दो दिन यावत् छह मास तक जावे तो भी किसी विमान का पार पावे और किसी विमान का पार नहीं पावे । अर्चि आदि ११ विमानों का इतना विस्तार है। ८ - ग्रहो भगवान् ! काम आदि ११ विमानों का कितना ::1 *जैसे जम्बूद्वीप में सर्वोत्कृष्ट दिन में ४७२६३३० योजन दूर से सूर्य दिखता है उसका दुगुना ( ६४५२६६२ योजन प्रमाण ).. को आकाश आन्तरा कहते हैं ।
SR No.010034
Book TitleBhagavati Sutra ke Thokdo ka Dwitiya Bhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1957
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size6 MB
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