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________________ सम्पादन-कला एव भाषा-मुधार [ ८५ सम्पादक के रूप मे आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी की अधोलिखित पाच ऐतिहासिक उपलब्धियाँ कही जा सकती हैं : १. उच्चस्तरीय विविध शृगार-मण्डित पत्रिका 'सरस्वती'। २. हिन्दी-जगत् मे नये-नये विषयों का उपस्थापन । ३. लेखको का निर्माण । ४. पुस्तकालोचन एव टिप्पणियों की आदर्श परम्परा । ५ भाषा-सुधार । 'सरग्वती' का सम्पादन करते हुए आचार्य द्विवेदीजी ने हिन्दी-संसार को इन्ही पाँच प्रमुख उपलब्धियो का उपहार दिया। और, इनमें से प्रत्येक का हिन्दी-भाषा: और साहित्य के इतिहास में अपना विशिष्ट स्थान है। उच्चस्तरीय विविध शृगार-मण्डित पत्रिका 'सरस्वती' : ___आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने जिस मास मे 'मरस्वती के सम्पादन का कार्य प्रारम्भ किया, पत्रिका के उसी अंक से उसके रूप मे श्रीवृद्धि होने लगी। जिस कार्य को उसके बाबू श्यामसुन्दरदास, राधाकृष्णदास, किशोरीलाल गोस्वामी, कात्तिकप्रसाद खत्री एवं जगन्नाथदास रत्नाकर जैसे पाँच-पाँच सम्पादक नहीं कर सके, उस अभूतपूर्व कार्य को द्विवेदीजी ने अकेले किया। सन् १९०३ ई० के पूर्व 'सरस्वती' का प्रकाशन नागरी-प्रचारिणी सभा के अनुमोदन से होता था। द्विवेदीजी ने आते हो सबसे पहले इस अनुमोदन की समाप्ति की घोषणा की। 'अनुमोदन का अन्त' शीर्षक टिप्पणी लिखकर उन्होने 'सरस्वती' को नागरी-प्रचारिणी सभा के अकुश से मुक्त कर हिन्दी-भाषी जनता के सम्मुख उसकी निजी एव स्वतन्त्र पत्रिका के रूप मे प्रस्तुत किया । विविध स्तम्भो,विषयो और चित्रो से उन्होने इस पत्रिका को सुसज्जित किया। डॉ० उदयभानु सिंह ने ठीक ही लिखा है : ___ “द्विवेदीजी की सम्पादन-कला की सर्वप्रधान विशेषता थी 'सरस्वती' की विविधविषयक सामग्री की समंजस योजना। फलक था, तूलिका थी, रग थे, परन्तु चित्र न था । प्रतिभाशाली चित्रकार ने उनके कलात्मक समन्वय द्वारा सर्वागपूर्ण चित्ताकर्षक चित्र अंकित कर दिया । ईट-पत्थर, लोहे-लक्कड और चूने-गारे के रूप में विविधविषयक रचनाओ का ढेर लगा हुआ था। शित्पी द्विवेदीजी ने उनके सुषम्ति उपस्थापन द्वारा 'सरस्वती' के भव्य मन्दिर का निर्माण किया। विषयों की अनेकरूपता, वस्तुयोजना, सम्पादकीय टिप्पणियाँ, पुस्तक-परीक्षा, चित्र, चित्र-परिचय, साहित्य-समाचार के व्यंग्य-चित्र, मनोरंजक सामग्री, बालवनितोपयोगी रचनाएँ, प्रारम्भिक विषय-सूची, प्रूफ-संशोधन आदि सबसे द्विवेदीजी की १. डॉ० उदयभानु सिंह : 'महावीरप्रसाद द्विवेदी और उनका युग' ।
SR No.010031
Book TitleAcharya Mahavir Prasad Dwivedi Vyaktitva Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShaivya Jha
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year1977
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size26 MB
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