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६४ ] आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व
१३. रसज्ञरंजन : 'सरस्वती' में पूर्वप्रकाशित विविध साहित्यिक लेखों के इस संग्रह का प्रकाशन इण्डियन प्रेस, इलाहाबाद द्वारा सन् १९२० ई० में हुआ था। इस निबन्ध-संग्रह का दूसरा निबन्ध श्रीविद्यानाथ उर्फ श्रीकामताप्रसाद गुरु का लिखा हुआ है।
१४. औद्योगिकी : राष्ट्रीय हिन्दी-मन्दिर (जबलपुर) से सन् १९२१ ई० में प्रकाशित इस पुस्तक में ११२ पृष्ठ हैं। इसका प्रकाशन-काल डॉ० उदयभानु सिंह ने सन् १९२० ई० माना है । परन्तु, वस्तुतः इसकी मात्र भूमिका ही सन् १९२० ई० में लिखी गई थी । अस्तु, इस १८ सें० आकार में छपी इस पुस्तक का प्रकाशन-वर्ष १९२१ ई० ही माना जाना चाहिए ।
१५. श्रीहिन्दी-साहित्य-सम्मेलन को स्वागतकारिणी समिति के अध्यक्ष पं० महावीरप्रसाद द्विवेदी का वक्तव्य : ७७ पृष्ठों के १८ सें० आकार में छपे इस भाषण का प्रकाशन स्वागत-समिति, कानपुर की ओर से हुआ था । यह वक्तव्य सन् १९२३ ई० के ३० मार्च को दिया गया था, इसके प्रकाशन का भी यही काल है। इस भाषण का मुद्रण कानपुर के कमर्शियल प्रेस में हुआ था।
१६. अतीत-स्मृति : मानस मुक्ता-कार्यालय (मुरादाबाद) के श्रीरामकिशोर शुक्ल द्वारा प्रकाशित एवं सरस्वती प्रेस (काशी) में मुद्रित इम पुस्तक में 'सरस्वती' में प्रकाशित सांस्कृतिक-ऐतिहासिक लेखों का संग्रह है। २५१ पृष्ठों की १८ सें० आकार मे छपी इस पुस्तक का प्रकाशन सन् १९२४ ई० मे हुआ था ।
१७. सुकवि-संकीर्तन : माइकेल मधुसूदन दत्त, दुर्गाप्रसाद, श्रीनवीनचन्द्र आदि पर द्विवेदीजी के लिखे हुए निबन्धों का प्रकाशन इस पुस्तक के रूप में लखनऊ के गंगा पुस्तकमाला-कार्यालय द्वारा सन् १९२४ ई० में हुआ। डॉ. उदयभानु सिंह ने इसका प्रकाशन-वर्ष सन् १९२२ ई० लिखा है। परन्तु, वस्तुतः इसकी भूमिका ही अक्टूबर, १९२२ ई० में लिखी गई थी। इसी कारण. श्रीकृष्णाचार्य 3 प्रभृति ने १६६ पृष्ठों की १८ सें० आकार में छपी इस पुस्तक का प्रकाशन-वर्ष सन् १९२४ ई० ही माना है।
१८. अद्भुत आलाप : लखनऊ के गंगा पुस्तकमाला-कार्यालय द्वारा सन् १९२४ ई० में प्रकाशित इस पुस्तक में 'सरस्वती' में प्रकाशित लेखों का संग्रह है। १५६ पृष्ठों की इस पुस्तक का आकार १८ से० है ।
१. डॉ. उदयभानु सिंह : 'महावीरप्रसाद द्विवेदी और उनका युग', पृ० ८४॥ २. उपरिषत् । ३. 'आचार्य द्विवेदी' : सं० निर्मल तालवार, पृ० २४२ ।