________________
६२ ] आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व
नागरी-प्रचारिणी सभा द्वारा सन् १९०२ ई० में प्रकाशित १३४ पृष्ठों की इस पुस्तक का आकार १७ सें ० है ।
इस प्रकार, आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदीजी की कुल सात अनूदित काव्य-कृतियाँ उपलब्ध हैं ।
आचार्य द्विवेदीजी का मौलिक गद्य-पुस्तकें :
१. नैषधचरितचर्चा : नागरी प्रचारिणी सभा (काशी) द्वारा सन् १८९९ ई० प्रकाशित एवं हरिप्रकाश यन्त्रालय, वाराणसी में मुद्रित इस पुस्तक में श्रीहर्ष - लिखित 'नैषधीयचरितम्' नामक संस्कृत काव्य की परिचयात्मक आलोचना है । कुल ७२ पृष्ठों की इस पुस्तक का आकार २० सें ० है ।
२. हिन्दी - कालिदास की समालोचना : लाला सीताराम ने 'कुमारसम्भवभाषा' 'मेघदूतभाषा' और 'रघुवंशभाषा' नाम की तीन पुस्तकें लिखी थीं । प्रस्तुत समालोचना उन्हीं तीन पुस्तकों के ऊपर लिखी हुई है । इस १५८ पृष्ठों कीं पुस्तक को कानपुर के मर्चेण्ट प्रेस से सन् १९०१ ई० में प्रकाशित किया था । इसका मूल आकार २२.५ सें ० है ।
।
३. हिन्दी - वैज्ञानिक कोष : डॉ० उदयभानु सिंह ' इस पुस्तक का नाम 'वैज्ञानिक कोष' दिया है, परन्तु परवर्ती श्रीकृष्णाचार्य आदि विद्वानों ने इसे 'हिन्दी - वैज्ञानिक कोष' ही माना है काशी - नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा जब इस कोष का प्रकाशन सन् १९०६ ई० मे हुआ, तब इसके सम्पादक के रूप में मात्र -श्रीश्यामसुन्दरदास का नाम छपा। इसी कारण द्विवेदीजी के साथ इनका मतभेद भी हुआ । वस्तुतः, इस कोष का बहुत सारा कार्य द्विवेदीजी ने ही किया था और इस कोष का प्रथम मुद्रण स्वतन्त्र रूप से उन्होंने सन् १९०१ ई० में ही कराया था । बाबू श्यामसुन्दरदास द्वारा सम्पादित इस कोष में भी इस बात का स्पष्ट संकेत है कि पृ० २४३ से २५८ तक दार्शनिक परिभाषाओं का सम्पादन 'द्विवेदीजी द्वारा किया हुआ है ।
४. विक्रमांकदेवचरितचर्चा : संस्कृत-कवि द्वारा विरचित 'विक्रमांकदेवचरितम्' की परिचयात्मक आलोचना १८ सें० आकार में छपी थीं। इसका प्रकाशन इण्डियन प्रेस, इलाहाबाद द्वारा सन् १९०७ ई० में हुआ था ।
१. डॉ० उदयभानु सिंह : 'महावीरप्रसाद द्विवेदी और उनका युग', पृ० ८३ ॥ २. ' आचार्य द्विवेदी' : सं० निर्मल तालवार, पृ० २४० ।