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५६ ] आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व
साहित्य की विविध विधाओं में द्विवेदीजी की प्रतिभा के अलग-अलग उन्मेष के दर्शन होते है । उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने कई क्षेत्रों में प्रवेश किया । इसका सहज ही अनुमान उनकी साहित्यिक उपलब्धियों की सूची द्वारा लगाया जा सकता है ।
आचार्य द्विवेदीजी की रचनाओं की सबसे प्राचीन सूची 'हंस' (वर्ष ३, संख्या ८, मई, १९३३ ई०) में आचार्य शिवपूजन सहाय ने प्रस्तुत किया था । उन्होंने लिखा है : "मैं शुरू से ही द्विवेदीजी की लिखी हुई सब पुस्तकों की नामावली तैयार कर रहा था। वह दिन-दिन नामावली बढ़ती गई । उसके संशोधन में ( देवीदत्त शुक्ल ) पं० यज्ञदत्त वर्तमान (सन् १९३३ ई०) सरस्वती - सम्पादक ने बड़ी सहायता दी । शुक्ल ' ने भी द्विवेदीजी की पुस्तकों की सूची बनाई थी ।.... वह द्विवेदीजी के सम्बन्धी हैं । इसलिए, उनकी बनाई हुई सूची विशेष प्रामाणिक हो सकती है । सरस्वती - सम्पादक शुक्लजी के अनुरोध से उन्होंने अपनी सूची मुझे दे देने की कृपा की। मैने अपनी और उनकी सूची एक करके द्विवेदीजी की सेवा में भेज दी । उसमें द्विवेदीजी ने यत्र-तत्र संशोधन - मात्र कर दिया । "१
इन कठिनाइयों और प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद उन्होंने जो सूची प्रस्तुत की, वह इस प्रकार है :
पद्य :
१. देवीस्तुति २. विनयविनोद
३. महिम्नः स्तोत्र
४. गंगालहरी ५. स्नेहमाला
६. विहार-वाटिका
७. काव्यमंजूषा
८. कविता-कलाप (कविता-संग्रह)
९. कुमारसम्भवसार
१०. सुमन (काव्यमंजूषा का नया संस्करण) ११. अमृतलहरी ।
गद्य :
१. भामिनीविलास
२. बेकनविचार - रत्नावली
३. हिन्दी - कालिदास की समालोचना
६. नाट्यशास्त्र
४. अतीत स्मृति
१०. हिन्दी भाषा की उत्पत्ति
५. हिन्दी - शिक्षावली के तृतीय भाग को समालोचना ११. हिन्दी -महाभारत ६. स्वाधीनता १२. रघुवंश
२. आचार्य शिवपूजन सहाय : 'शिवपूजन रचनावली', भाग ४, पृ० १८०
७. शिक्षा
८. सम्पत्तिशास्त्र