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________________ कविता एवं इतर-साहित्य [ २०३ २२. प्यारा वतन : फरवरी, १९०६ ई० । २३. भगवान की बड़ाई : मार्च, १९०६ ई. । २४. जम्बुकी-भूमि : मार्च, १९०६ ई० । २५. आर्यभूमि : अप्रैल, १९०६ ई० । २६. शहर और गाँव : अप्रैल, १९०६ ई० । २७. गंगा-भीष्म : मई, १९०६ ई० । २८. शरीर-रक्षा : मई, १९०६ ई० । २६. कवि और स्वतन्त्रता : जुलाई, १९०६ ई० । ३०. अक्षर एक : अगस्त, १९०६ ई० । ३१. कान्यकुब्ज-अबला-विलाप : सितम्बर, १९०६ ई० । ३२. टेसू की टाँग : अक्टूबर, १९०६ ई० । ३३. ठहरोनी: नवम्बर, १९०६ ई०। ३४. प्रियंवदा : दिसम्बर १९०६ ई० । ३५. इन्दिरा : अप्रैल, १९०७ ई० । ३६. शकुन्तला-जन्म : जनवरी, १९०६ ई० । ३७. कुन्ती और कर्ण : अप्रैल, १९०६ ई० ३८. भवन-निर्माण-कौशल : जुलाई, १९०९ ई० । स्पष्ट है कि अपने सम्पादन-काल में एवं उसके पूर्व भी द्विवेदीजी ने अपनी कविताओं का अच्छी संख्या में प्रकाशन 'सरस्वती' में किया। जिस भाषाई क्रान्ति की बहुविध चर्चा द्विवेदी-युग के सन्दर्भ में होती है, उसका श्रीगणेश स्वयं द्विवेदीजी की इन्हीं कविताओं द्वारा हुआ। उन्होंने अनेक मौलिक एवं अनूदित काव्य-कृतियों की रचना कर हिन्दी-कविता को एक नई दिशा की ओर मोड़ने का प्रयास किया। अपने इन काव्यप्रयासों में उन्हें कलात्मक सफलता कितनी मिली है, यह अपने-आप में एक विवादास्पद विषय है। परन्तु, इसमें तनिक भी सन्देह नहीं कि उनके नेतृत्व में कविता ने अपनी सम्भावनाओं और अवस्थाओं का परिचय प्राप्त किया। डॉ. सुधीन्द्र ने लिखा है : "कवि द्विवेदी ने पहले श्रीधर पाठक की भाँति खड़ी बोली के माध्यम से कविता की सृष्टि की और अपनी क्षमताओं का निरीक्षण-परीक्षण किया। साथ ही, अपनी मान्यताओं द्वारा उन्होंने उस क्रान्ति की दिशा की ओर इंगित किया, जो कि आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य थी।"१ विन्यास की दृष्टि से द्विवेदीजी के काव्यात्मक साहित्य को स्पष्ट ही दो विभागों में विभक्त किया जा सकता है : (क) मौलिक एवं (ख) अनूदित । १. डॉ. सुधीन्द्र : 'हिन्दी-कविता में युगान्तर', पृ० ४२ ।
SR No.010031
Book TitleAcharya Mahavir Prasad Dwivedi Vyaktitva Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShaivya Jha
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year1977
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size26 MB
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