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________________ सम्पादन- कला एवं भाषा-सुधार 'सरस्वती' में अच्छे बालकोंवाले सुन्दर चित्रों को ही छपने देना चाहते थे । असुन्दर अथवा अस्पष्ट ब्लॉकों वाले चित्रों के छप जाने पर उन्होंने एतदर्थ क्षमायाचना की थी । ८७ चित्रों के मुद्रण एवं चयन मे द्विवेदीजी ने उनकी कला और उपादेयता का सर्वोपरि ध्यान रखा । 'सरस्वती' मे प्रकाशित अधिकांश रंगीन चित्र राजा रवि वर्मा और रामेश्वरप्रसाद वर्मा की तूलिका की उपज रहते थे। सभी पाठक सभी चित्रों का सहीसही भाव ग्रहण करने में सक्षम नहीं थे, इस कारण 'सरस्वती' में चित्रो का परिचय देना भी द्विवेदीजी ने आवश्यक समझा । चित्त्रो का परिचय देने मे भी द्विवेदीजी ने प्रतिभा का चमत्कार दिखाया है। डॉ० उदयभानु सिंह ने लिखा है : " शैली की दृष्टि से द्विवेदीजी के चित्र परिचय के चार वर्ग किये जा सकते हैं : Safari गारिक एवं स्पष्ट चित्रों के परिचय में उनके नाममात्र का उल्लेख, २ कलात्मक चित्रों और उनके रचयिताओ का विशेष परिचय और अधिक सुन्दर होने पर उनकी प्रशंसात्मक आलोचना, 3 अत्यन्त भावपूर्ण एव प्रभावोत्पादक चित्रों का काव्यमय निदर्शन' और यदा-कदा ऐतिहासिक आदि चित्रों की तुलनात्मक विवेचना भी है। * ऐसे सामान्य रंगीन एवं सादे चित्रों के साथ-ही-साथ द्विवेदीजी ने 'सरस्वती' में साहित्यिक व्यंग्य - चित्रों को भी स्थान दिया । इसके पूर्व हिन्दी की किसी भी पत्रिका मे ऐसे व्यग्य-चित्रों का प्रस्तुतीकरण नही हुआ था । ऐसे व्यंग्य चित्रों के माध्यम से तत्कालीन हिन्दी - साहित्य की कल्पना देने तथा हिन्दी-संसार के यथार्थ को लोगों को सामने रखने का प्रयास किया गया है । इन व्यंग्यात्मक चित्रों ने पाठकों मे 'एक क्ष ेत्र-विशेष का निर्माण करने में सहायता दी। उस समय की, हिन्दी - जगत् में व्याप्त सारी समस्याओं एवं परिस्थितियों का वास्तविक स्वरूप सामने रखनेवाले ये १. 'सरस्वती की गत सख्या मे शास्त्रविशारद जैनाचार्य श्रीविजयधर्मसूरि का चित्र नही दिया जा सका । कारण यह हुआ कि ब्लॉक अच्छा न होने से चित्र खराब छपा । और ऐसा चित्र छापने से न छापना ही अच्छा समझा गया ।' – 'सरस्वती' अक १२, वर्ष ७, पृ० ३५१ । २. उदाहरणार्थ, 'नवोढ़ा', सरस्वती, भाग १८, खण्ड १ आदि । ३. उदाहरणार्थ, ‘आतिथ्य', सरस्वती, जुलाई, १९१८ ई० आदि । ४. उदाहरणार्थ, 'वियोगिनी', सरस्वती, दिसम्बर, १९१५ ई० आदि । ५ उदाहरणार्थ, 'प्राचीन तक्षण कला के नमूने', सरस्वती, दिसम्बर, १९१५ ई० आदि । ६. डॉ० उदयभानु सिंह ; 'महावीरप्रसाद द्विवेदी और उनका युग', पृ० १७७ ।
SR No.010031
Book TitleAcharya Mahavir Prasad Dwivedi Vyaktitva Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShaivya Jha
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year1977
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size26 MB
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