SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 540
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रथम पर्व ५१५ आदिनाथ चरित्र हज़ार बर्षकी आयुवाले और पन्द्रह धनुषकी कायात्राले होंगे। ये दोनों चक्रवर्त्ती मुनि सुव्रत और नमिनाथ अर्हन्त के समय में होंगे । तदनन्तर राजगृह नगरमें विजय राजा और वप्रा देवीके पुत्र जय नामके ग्यारहवें चक्रवर्ती होंगे। उनकी तीस हजार वर्षको आयु और बारह धनुषकी काया होगी। वे नमिनाथ और नेमिनाथके समय के बीच में होंगे। वे तीनों चक्रवर्ती मोक्षको प्राप्त होंगे | सबसे पीछे काम्पिल्य- नगर में ब्रह्म राजा और चुलनी रानी के पुत्र ब्रह्मदत्त नामके बारहवें चक्रवर्ती नेमिनाथ और पार्श्व - नाथ समय बीच में होंगे। उनकी सात सौ वर्षोंकी आयु और सात धनुषों की काया होगी । वे रौद्र ध्यानमें तत्पर रहते हुए सातवीं नरक-भूमिमें जायेंगे ।” ऊपर लिखी बातें कह, प्रभुने, भरतके कुछ भी नहीं पूछने पर भी कहा, "चक्रवर्तीसे आधे पराक्रमवाले और तीनखण्ड पृथ्वी के भोग करनेवाले नौ वासुदेव भी होंगे, जो काले रङ्गके होंगे to उनमें आठवाँ वासुदेव कश्यपगोत्री और बाकीके आठ गौतमगोत्री होंगे। उनके नौ सौतेले भाई भी होंगे, जो बलदेव कहलायेंगे और गोरे रङ्गके होंगे। उनमें पहले पोतनपुर नगर में त्रिपृष्ठ नामक वासुदेव होंगे, जो प्रजापति राजा तथा मृगावती रानी के पुत्र और अस्सी धनुषों की कायावाले होंगे । श्रेयांस जिनेश्वर जिस समय पृथ्वी में विहार करते होंगे, उसी समय वे चौरासी लाख वर्षकी आयु भोग कर, अन्तिम नरक में नगरी में ब्रह्म राजा और पद्मा देवीके पुत्र द्विपृष्ठ नामके दूसरे वासु जायेंगे । द्वारका
SR No.010029
Book TitleAadinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapmuni
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year
Total Pages588
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Mythology
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy