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आदिनाथ चरित्र
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प्रथम प
"सब चक्रवर्ती कश्यपगोत्रके और सुवर्णकी सी कान्तिवाले होंगे T उनमें आठ चक्री तो मोक्षको प्राप्त होंगे, दो स्वर्गको जायेंगे और दो नरकको । मेरे समय में जैसे तुम हुए हो, वैसेही अयोध्या नगरी में अजितनाथ के समय में सगर नामके दूसरे चक्रवर्त्ती होंगे। वे सुमित्र राजा और यशोमती रानीके पुत्र होंगे। उनकी साढ़े चार सौ धनुषकी काया और बहत्तर लाख पूर्व की आयु होगी । श्रावस्ती नगरीमें समुद्रविजय राजा और भद्रारानी के पुत्र माघवा नामके तीसरे चक्रवर्ती होंगे। उनकी साढ़े चालीस धनुषकी काया और पाँच लाख वर्षकी आयु होगी । हस्तिनापुर में अश्वसेन राजा और सहदेवी रानीके पुत्र सनत्कुमार नामक चौथे चक्रवर्त्ती तीन लाख वर्षकी आयुवाले और साढ़े उन्तालीस धनुषकी कायावाले होंगे। धर्मनाथ और शान्तिनाथ के बीच में होनेवाले ये दोनों चक्रवर्त्ती तीसरे देवलोक में जायेंगे 1 शान्ति, और अर—ये तीन तो अर्हन्त ही चक्रवर्त्ती होंगे । इनके बाद हस्तिनापुर में कृतवीर्य राजा और तारा रानीके पुत्र _ नामके आठवें चक्रवर्ती होंगे। उनकी साठ हज़ार वर्ष की आयु और अट्ठाईस धनुष की काया होगी । वे अरनाथ और मल्लिनाथ के समय के बीच में होंगे और सातवे' नरकमें जायेंगे । इनके बाद वाराणसी में पद्मोत्तर राजा और ज्वाला रानी के पुत्र पद्म नामके नवें चक्रवर्ती होंगे। उनकी तीस हज़ार वर्षकी आयु
काम्पिल्य- नगर में राजा महानामक दसवें चक्रवर्त्ती दस
और बीस धनुष की काया होगी । हरि और मेरा देवीके पुत्र हरिषेण