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प्रथम पर्व
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आदिनाथ-चरित्र
जिस तरह महावेगवती नदीके प्रवाह में पर्वत अचल और अटल रहता है, उसी तरह धन सेठ, सदाचार रूपिणी नदी के प्रवाह में, पर्वत के समान अचल और अटल था। वह सत्पथ से विच. लित होने वाला नहीं था। बहुत क्या-वह सारी पृथ्वी का पवित्र करने वाला सेठ सभी से पूजा जाने योग्य था। उसमें यशरूपी वृक्षके अमोघ बीज के समान औदार्य, गाम्भीर्य्य और धैर्य आदि गुण थे। अनाज की ढेरियों की तरह उसके घरमें रत्नों की ढेरियाँ थीं। जिस तरह शरीर में प्राण-वायु मुख्य होता है, उसी तरह वह धन सेठ धनवान, गुणवान् और कीर्तिमान लोगों में मुख्य था। जिस तरह बड़े भारी तालाब के आसपास की जमीन उसके सोतों से तर रहती है; उसी तरह उस सेठ के धनसे उसके नौकर-चाकर प्रभृति तर रहते थे।
वसन्तपुर जानेकी तैयारी एक, दिन मूर्तिमान उत्साह की तरह, उस साहूकारने किराना लेकर वसन्तपुर जानेका इरादा किया। उसने नगर में . अपने आदमियों द्वारा यह डौंडी पिटवादी-"धन सेठ वसन्तपुर जाने वाले हैं। जिस किसी को वसन्तपुर चलना हो, वह उनके साथ होले। जिसके पास चढ़ने को सवारी न होगी, उसे वह सवारी देंगे। जिसके पास खाने-पीने के बर्तन न होंगे, उसे वह बटन देंगे। जिसके पास राह-खर्च न होगा, उसे वह राह-खर्च देंगे। राहमें चोरों और डाकूओं तथा सिंह व्याघ्र आदि हिंसक