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थम पर्व
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आदिनाथ चरित्र किसीने कहा-“आप पान सुपारी प्रसन्न होकर स्वीकार कीजिये" किसीने कहा-"प्रभो! हमने क्या अपराध किया है, जो आप हमारी प्रार्थना पर कान भी नहीं देते और कुछ जवाब भी नहीं देते ?" इस प्रकार नगर निवासी उनसे प्रार्थना करते थे, पर वे उन सब चीजोंको अकल्प्य समझ, उनमें से किसी को भी स्वीकार न करते थे और चन्द्रमा जिस तरह नक्षत्र नक्षत्र पर फिरता है, उसी तरह प्रभु घर घर घूमते थे। पक्षियों के सवेरेके समय के कोलाहल की तरह नगरनिवासियों का बह कोलाहल अपने घर में बैठे हुए श्रेयांसके कानों तक पहुंचा। उसने यह क्या हैं। इस बातकी खबर लानेके लिये छड़ीदार को भेजा। वह छड़ीदार सारा समाचार जानकर, वापस महलमें आया और हाथ जोड़ कर इस प्रकार कहने लगा:
श्रेयांस द्वारा भगवान का पारणा । राजाओं के जैसे अपने मुकुटों से जमीनको छूकर चरणके पोछे लोटनेवाले इन्द्र दृढ़ भक्तिसे जिनकी सेवा करते हैं; सूर्य जिस तरह पदार्थों को प्रकाशित करता है, उसी तरह जिन्होंने इस लोकमें मात्र अनुकम्पा-दया के वश होकर, सब को आजीविकाके उपाय रुप कर्म बतलाये हैं---जिन्होंने मनुष्यों पर दया करके उन्हे आजीविका-रोज़ी के उपायोंके लिये तरह तरह के काम बतलाये हैं। जिन्होंने दीक्षा ग्रहण की इच्छा करके, अपनी प्रसादी की तरह, भरत प्रभृति और