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________________ ६७ १- हिन्दी काव्य धारा, १० हिन्दी काव्य चारा, (१२) freeथान का यह कथन अवरशः सत्य है कि मुस्लिम राज्य की स्थापना भारत के लिए एक बहुत भारी घटना थी। अभी तक जितने भी विदेशी आक्रमणकारी भारत में आ में, वह भारतीय संस्कृति को स्वीकार कर ही उसमें अपनी और से कुछ करके भी हजारों जात पातों में बिसरे भारतीय जन समूह में मिलते गए। लेकिन जब जिस संस्कृति और धर्म से वास्ता पड़ा वह काफी सबल था । उसे हजम करने की ताकत ब्राह्मणों के जीर्णी ढांचे में नहीं थी ।--संदेश रासक के रचयिता कवि अबूल रहमान (१०१० ई० का जुलाहा वंश दसवीं सदी के अन्य से पहले ही समान हो चुका था । इस्लाम जब भारत के दूसरे देशों में फैला तो वहा पर भी हम प्रमुख शिल्पी जातियों को बड़ी इवी से इस्लाम धर्म स्वीकार करते देखते हैं।" " इस तरह इस्लाम का क्षेत्र बढ़ता गया । १०१४ ई० में महमूद गजनवी ने हिन्दी प्रदेश पर पहला आक्रमण किया। उसने मथुरा और कन्नौज के मंदिरों को टूटा। कमीज उस समय वक्तिहीन था। थानेश्वर भी मुसलमानों के हाथ मैं चला गया था। क्यू १०१५ में उसकी सोमनाथ की छूट प्रसिद्ध है। इन इकों का उद्देश्य केवल न टूटना तथा करना था पर इस छूट नेवाद की पुष्टि की। इससे राहुल डीकृत्यायन के इस कथन का मौचित्य स्पष्ट होता और कभी भी इस्लामी क है कि वीके के नीचे ले गए थे। का हिन्दू व एक एक करके करने के लिए काल की प्रतीक्षा कर रहे है। मसूद और दूसरे कितने ही मुस्लिम विजेताओं के मन्दिरों पर भी प्रहार किया। लेकिन वे इतना श्रम सिर्फ पत्थरों के तोड़ने के लिए ही नहीं किया करते थे। वे जाते थे मन्टों और पुजारियों द्वारा ही जमा की हुई अपार भाग को टूटने। इससे यह लाभ ३०-३१. श्री कृत्यायन । १२ श्री रा
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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