________________
सात मुख मरि किपि सो लिव इस विषय सुख प्रभवा रचना में संसार कीनश्वरता का स्पक में डाली पकड़ कर गिरे हुए मनुष्य के साथ बाधा है जिसकी डाली को दिन रात मी बूढे काट से है और कुएं में असमर (मृत्यु) और डाली पर लगे अन्त में मधु मिन्ड (सुख विषय) गिर रहे है। बाहर मस्त गल दहाड़ रहा है। ब स्वामी ने इसी पक अन्या के भब चोर को स्पष्ट किया है।
भाषा सरत राजस्थानी है। पद मरस बेली में लिया गया है या मेब है।
म्यूलिप गीतम'
स्थतिमा के सम्बन्ध में यह रचना है। रचनाकार बात कवि प्रकाशित है। रचना १४वीं शताब्दी की है। अषश से प्रभावित पर राजस्थानी है। उदाहरण दृष्टव्य:• परिस सम मान मनु टालिल बा अणि बरहि, कर जोडिवि पाहि पा
कोसल गया था भाग शिणि पएिमास मुगविधान पुनियर faar
-
--
-
बमिक व भावरिलबोन का विय परि एक मारा विकार समय मद का कप
विण बानिया र
कपासवास रिम मरि यि मामि रममा गपाला बिति सम्बन्धित है।